एक टीवी परिचर्चा में चुनाव आयोग के एक पूर्व अधिकारी मोहम्मद अमीन ईवीएम के बारे में बता रहे थे कि क्यों इसे हैक नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष के ऐसे बेतुके मुद्दों की वजह से ही उसका यह हाल है।
अब इसके बाद तो कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत का जो पारा चढ़ा कि बीच परिचर्चा में वे मोहम्मद अमीन को बदतमीजी से डाँट कर शट अप बोलने लगे।
10 साल से विपक्ष में हैं, जीतने की कोई आशा नहीं है, और उस पर से ये तेवर! कहाँ से आता है इतना अहंकार? ... See MoreSee Less
क्या 1857 की क्रांति विफल रही थी?
नहीं, उसने ऐसा डर अंग्रेजों के मन में भरा था, जिसके चलते 1946 में नौसैनिक विद्रोह पूरी तरह परवान चढ़े बिना ही उन्होंने हड़बड़ी में भारत को स्वतंत्र कर दिया। ... See MoreSee Less
अब टाटा 1 एमजी Tata 1mg से ज्यादा छूट पड़ोस की दवा दुकानें दे देती हैं... ... See MoreSee Less
युवराज को पता भी नहीं है कि उनकी जेएनयू टोली ने चुपके से उनकी पार्टी का नाम बदल कर आईएनसी-एमएल कर दिया है! ... See MoreSee Less
मुख्तार अंसारी कोई विचाराधीन अपराधी नहीं था, हत्या के दो मामलों में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी जा चुकी थी।
और ऐसे लोगों का सच अदालतों से ज्यादा खुद जनता जानती रहती है। फिर भी, वह चुनाव जीतता रहता था, जेल के अंदर रहते हुए चुनाव जीतता रहता था। कोई कहेगा कि लोग डर कर वोट दे देते थे। लेकिन मरने के बाद भी कब्रिस्तान के बाहर जो भीड़ जमा थी, उसे सबने देखा ही।
तो अखिलेश यादव आज मुख्तार अंसारी का मातम मनाने उसके "फाटक" पर पहुँचे तो इसमें कोई आश्चर्य है क्या? जब लोगों को मुख्तार का सच मालूम था, मालूम है, और सपा-बसपा का उसे मिलने वाला संरक्षण सबको मालूम था, मालूम है, उसके बाद भी लोग अपना वोट देते हैं अपराधी को भी, उसके संरक्षक को भी, तो राजनीतिक दल क्यों कोई शर्म करेंगे एक अपराधी की सरपरस्ती करने में? उन्हें वोट चाहिए, अपराधी का संरक्षक बन कर वोट मिलते हैं तो उसी तरह से लेंगे... ... See MoreSee Less
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