दीपक शर्मा :
जो अडवाणी नहीं कह पाये, जो जोशी नहीं कह पाये, जो सुषमा, गडकरी और राजनाथ नहीं कह पाये …..वो दिल्ली की जनता ने कह दिया।
ये पहला मौका है, जब किसी जनादेश ने एक तीर से दो शिकार किये हैं। एक फैसले से दो मकाम हासिल किये हैं। एक बटन से उम्मीद के दो बल्ब जलाये हैं।
दिल्ली की जनता ने जहाँ विधानसभा में ‘आप’ की सरकार स्थापित की है, वहीँ केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व में बढ़ती निरंकुशता पर विराम लगाने की कोशिश की है। नेतृत्व की जो निरंकुशता सरकार और पार्टी की भीतरी डेमोक्रेसी को निगल रही थी उस पर एक भरपूर चोट दिल्ली के फैसले ने की है। निश्चित रूप से दिल्ली में अब केजरीवाल भ्रष्टाचार की कमर तोड़ेंगे और उधर मोदी अपने वायदों को डेलिवरी में बदलने के लिए रात दिन एक करेंगे। दोनों स्थितियाँ जनता के हित में है।
केजरीवाल की आज कही एक बात हम सब को समझनी होगी। उन्होंने कहा कि आप को मिले प्रचंड बहुमत से पार्टी को अहंकार का शिकार नहीं होना चाहिए। बीजेपी नेतृत्व के जिस अहंकार का लाभ केजरीवाल को मिला है उस अहंकार को वो अब अपने करीब नहीं आना देना चाहते हैं।
मित्रों, पूरी रामायण में रावण की कई खूबी -खामियाँ, अच्छाई, बुराई बताई गयी हैं, लेकिन इस कथा का सार यही है कि रावण को अहंकार ले डूबा। इस अहंकार ने रावण के भाई से लेकर उसके समर्थक तक उसके दुश्मन बना दिए। उसकी हार का कारण युद्ध कौशल नहीं अहंकार था।
मित्रों, हमें इस देश को डूबाना नहीं है, इसलिए हम देश के नेतृत्व को अहंकार में डूबने नहीं दे सकते। दिल्ली की जनता को धन्यवाद। एक को जिताया तो दूसरे को जगाया।
(देश मंथन, 12 फरवरी 2015)