पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
जिस संघ के साथ दशकों नाता रहा, निजी महत्वाकांक्षा में अर्थात प्रधानमंत्री बनने की ललक में, उसी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पानी पी-पी कर जिस तरह से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोसते हुए यहाँ तक कह दिया कि देश को संघ मुक्त करने के लिए सभी विपक्षी दल एक हों, उसे वाकई गिरी हरकत कहा जाएगा।
इधर हाल में शरद यादव के स्थान पर खुद ही जदयू के सदर बन बैठे नीतीश बाबू जरा दिल पर हाथ रख कर बोलें कि जिस संघ से आपका दशकों चोली-दामन का साथ रहा और जिसके स्वयंसेवकों के बल पर दो बार आप मुख्यमंत्री बने, क्या वह वाकई देशद्रोही संघटन है और उससे लोकतंत्र खतरे मंक है? आप संघ के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलते रहे हैं, क्या एक क्षण के लिए भी वे आपको साम्प्रदायिक लगे? जिनका आप इस ‘नेक काम’ में सहयोग के लिए आह्वान कर रहे हैं, उन दलों जैसे लालू का राजद, सोनिया-राहुल की कांग्रेस, मायावती की बसपा, मुलायम एंड ब्रदर्स की सपा और तमाम घोटालों में लिप्त ममता की तृणमूल जैसी व्यक्तिवादी पार्टियों की लूट आपको नजर नहीं आयी ?
यूपीए के दस वर्ष के राज में बीस लाख करोड़ से भी ज्यादा की रकम बिना डकार लिए हजम करने वाली कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के धतकरमों को आप कैसे नजरअंदाज कर बैठे सर? क्या आप चाहते हैं कि बिना जवाबदेही किसी प्यादे को सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर नाम के लिए बैठा कर रिमोट से सरकार चलाने जैसे शर्मनाक कुकृत्य की देश में पुनरावृति हो? आपकी ईमानदारी पर संदेह नहीं मगर वोट के सौदागर आप भी हैं और जो कुछ रामनवमी पर बिहार में तांडव हुआ क्या वह तुष्टीकरण नहीं है? क्या घोषित भ्रष्टाचारी सजायाफ्ता लालू यादव के दबंग मुस्टंडों ने वही पुराना आतंक बिहार में नहीं लौटा दिया, क्या रंगदारी शबाब पर नहीं है फिर? आपने पूरे राज्य में शराबबंदी कर दी, स्तुत्य कार्य है पर कैसे सफल होगी यह योजना, जब लुटेरों का साथ है जो शराब तस्करी से मालामाल होने जा रहे हैं और जहाँ एंबुलेंस में शराब इधर-उधर की जा रही है। जातियों में बंटी बिहार पुलिस की ‘ईमानदारी’ जगजाहिर है। आपने अवांछनीय तत्वों को नया धंधा थमा दिया जिनके आका राजनेताओं के तलवे चाटने वाली बिहार पुलिस के साथ मिलीभगत से अरबपति बनने में देर नहीं।
आईएसआई का घोषित एजेंट दरिंदगी की हद पार करने वाले हत्यारे माफिया डान शहाबुद्दीन को, जो जेल में बंद है, राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नामित कर दिया गया, और आप बगली झांक रहे हैं? जातिवाद के सहारे, जिसे भाजपा की गलत रणनीति का भी लाभ मिला, जीत हासिल करने वाले नीतीशजी नहीं सोचा आपने कि बिहार को फिर से ‘अंधा युग’ में धकेलने का इंतजाम कर दिया है। दया आती है बिहारियों पर कि कि वे जाल में फंस कर अभिशप्त हैं और संघ के खिलाफ उनके नेता नारा बुलंद कर हिंदू स्वाभिमान पर चोट पहुँचाने का काम कर रहे हैं। एक दिन होश आएगा जरूर नीतीश कुमारजी परंतु डर यह है कि तब तक कहीं बहुत देर न हो चुकी हो। इसलिए सपने मत देखिए इस जमीनी हकीकत को समझिए कि देश एक मजबूत भारत चाहता है।
(देश मंथन, 19 अप्रैल 2016)