देवेन्द्र शास्त्री :
आप ने सुना? पढ़ा? विपक्ष ने आरोप लगाया? किसी अखबार ने रिपोर्ट किया, किसी टीवी ने कहा?
नहीं भाई नहीं!
पर महसूस किया है। भ्रष्टाचार बदस्तुर जारी है। रुटीन वाला, जिसका अब कोई स्केंडल नहीं बनता। टोल ठेकेदारों और बड़ी कंपनियों के साथ डील्स को ही ट्रांस्पेरेंट कर देते?
महँगाई, बेरोजगारी, गरीबी, इस्पेक्टर राज बदस्तूर जारी है।
पर मोदी यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि अगर वो अपने मंत्रियों के ईमानदार होने की बात भी लोगों में स्थापित कर सके तो जनता का समर्थन मिल जाएगा। यह अनुभव उन्होंने दिल्ली सरकार से हासिल किया है जो ईमानदार इमेज के कारण बार-बार केंद्र सरकार को चुनौती देती रहती है।
कांग्रेस प्रेस कांफ्रेंस की बक-बक
सुरजेवाला: घटिया तुकबंदी..।
गुलाम नबी आजाद: शेरो शायरी-जब से नेतागिरी शुरू की थी तब से आज तक बस यही एक शेयर आता है-हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामें गुलिस्ताँ क्या होगा” थोथी मगजपच्ची।
खड़गे: मुद्दे तो गिनाए पर ठोस कुछ नहीं। हिंदी- उर्दू कोई सी भी भाषा ठीक से आती नहीं पर लगे शेर पढ़ने.. बुढापे में ऐसा ही होता है।
कपिल सिब्बल: तुकबंदी, शेरो-शायरी, बहस की चुनौती और बकवास। अन्ना हजारे ने ऐसा धोया कि लगता है सारे कानून ही भूल गये।
मनीष तिवारी: फिर पीआरओ वाली सरकारी हिंदी…।
(देश मंथन, 28 मई 2016)