देश मंथन डेस्क
भाजपा के निशाने पर त्रिपुरा का वामपंथी गढ़
संदीप त्रिपाठी :
त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस के छह निष्कासित विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये हैं। इसके साथ ही भाजपा त्रिपुरा विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल बन गयी है। यह सवाल उठता है कि क्या इसे मणिपुर की तरह त्रिपुरा में भाजपा के आने की आहट मानें। त्रिपुरा में वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
कहीं आपके बच्चे को निगल न जाये ऑनलाइन नीली व्हेल
संदीप त्रिपाठी :
यदि आप किशोरवय के बच्चों के अभिभावक या शिक्षक हैं तो आपके लिए पूरी तरह सतर्क हो जाने का समय है।
महज 8% किसान बचे हैं देश में : साईनाथ
संदीप त्रिपाठी :
प्रख्यात कृषि पत्रकार पी. साईनाथ को सुनना अपने-आप में अद्भुत है। अद्भुत इसलिए है कि आज के दौर में जब हर आदमी, भले ही वह पत्रकार ही क्यों न हो, खेमों में बँटा दिखता है।
जोधपुर शहर की सुबह…पटवा हवेली की तलाश में
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
देश के कुछ वे शहर जो सचमुच में हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रतिनिधि हो सकते हैं उनमें शामिल है जोधपुर। शहर का पुराना स्वरूप, खानपान, शानदार किले और उद्यान और यहाँ के मस्त और दोस्ताना लोग शहर को बाकी शहरों से अलहदा बनाते हैं।
कुमार विश्वास, अगर आपमें दम है, तो दिल्ली में सरकार बनाकर दिखाएं
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
कुमार विश्वास सैनिकों की बात करते हैं और सैनिक कभी मैदान छोड़कर नहीं भागते। इसिलए अगर उनमें दम है, तो केजरीवाल से इस लड़ाई को वे जीतकर दिखाएं। और अगर दम नहीं है, तो उनका हश्र भी वही होने वाला है, जो इस पार्टी में दूसरे तमाम को-फाउंडर्स का हुआ है।
विरासत – जोधपुर रेलवे स्टेशन पर नैरोगेज का स्टीम लोकोमोटिव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
जैसलमेर से जोधपुर के लिए हनुमान ट्रैवल्स की बस बुक की थी। बस शहर के प्रमुख चौराहे हनुमान जंक्शन से रात 10.15 बजे खुलने वाली थी। मैं दो घंटे पहले ही यहाँ पहुँच गया हूँ। ट्रैवल कंपनी के दफ्तर में अपना बैग रखकर आसपास में टहलता हूँ।
रेत के टीलों के बीच डूबता सूरज – एन इवनिंग इन सम सैंड ड्यून्स
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
सम सैंड ड्यून्स। जैसलमेर की सबसे रोचक और रोमांटिक लोकेशन है। हर जैसलमेर आने वाला सैलानी वहाँ जाना चाहता है। जाए भी क्यों नहीं।
हर हाल में खुश रहना सीखों
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मास्टर साहब पाँचवीं कक्षा में पढ़ाते थे, “फूलों से नित हंसना सीखो, भौंरों से नित गाना। तरु की झुकी डालियों से सीखो शीश झुकाना!”
मकान ले लो, मकान
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे मित्र को एक मकान चाहिए। वैसे दिल्ली में उनके पिता जी ने एक मकान बनवाया है और अब तक वो उसमें उनके साथ ही रह रहे थे। लेकिन कुछ साल पहले उनकी शादी हो गयी और उन्हें तब से लग रहा है कि उन्हें अब अलग रहना चाहिए। मैंने अपने मित्र से पूछा भी कि पिताजी के साथ रहने में क्या मुश्किल है?
कुलधरा – पालीवाल ब्राह्मणों का एक अभिशप्त गाँव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
एक गाँव जो कभी आबाद था। हजारों लोग रहते थे। सुबह शाम संगीत गूंजता था। पर अब सिर्फ खंडहर। हम बात कर रहे हैं कुलधरा की। आज इसकी गिनती देश के कुछ प्रमुख भुतहा स्थलों में होती है।