Friday, August 22, 2025

देश मंथन डेस्क

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दौलताबाद का किला : जिसे बेधना था मुश्किल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

देवगिरी यानी दौलतबाद का किला औरंगाबाद शहर से 11 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दुर्जेय पहाड़ी पर स्थित है।

भूमि अधिग्रहण बिल पर तथ्यहीन विरोध

राजीव रंजन झा :

राहुल गाँधी को भारतीय राजनीति में पुनर्स्थापित करने के प्रयास के तहत कांग्रेस ने बीते रविवार को दिल्ली में किसानों की रैली की और उसमें राहुल खूब गरजे-बरसे।

आधी छोड़ पूरी धावे, न आधी पावे न पूरी पावे

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

मेरे लिए नानी के घर जाने का मतलब सिर्फ परियों की कहानियाँ सुनना नहीं था।

खुल्ताबाद : औरंगजेब की मजार पर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

मुगल बादशाह औरंगजेब ऐसा शासक रहा है, जिसका इतिहास में ज्यादातर नकारात्मक मूल्याँकन हुआ है। दिल्ली के इस सुल्तान की मजार है औरंगाबाद शहर से 30 किलोमीटर दूर खुल्ताबाद में। उसकी दिली तमन्ना थी कि उसे अपने गुरु के बगल में दफनाया जाये।

रिचार्ज का भन्डारा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

मैंने एक पुण्यार्थी उद्योगपति से निवेदन किया कि मुफ्त का पानी पिलाना इस गरमी में बहुत पुण्य का काम है।

जीओ और जीने दो

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

मुझे तो सुबह उठ कर अपनी पत्नी को धन्यवाद कहना ही चाहिए।

उसने मुझे कभी देर रात हाथ में कम्प्यूटर की स्क्रीन में झाँकने से नहीं रोका।

लेटे हुए हनुमान जी यानी भद्र मारुति

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

देश में बजरंग बली के लाखों मन्दिर होंगे, पर इनमें खुल्ताबाद का भद्र मारुति मन्दिर काफी अलग है।

भावे की हर बात भली, ना भावे तो हर बात बुरी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आज सोच रहा हूँ कि सु़बह-सु़बह आपसे वो बात बता ही दूँ जिसे इतने दिनों से बतान के लिये मैं बेचन हूँ।

हिन्दू, बौद्ध और जैन विरासत का संगम है एलोरा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

अगर आप देश का इतिहास, विरासत, संस्कृति से साक्षात्कार करना चाहते हों तो एलोरा से अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती।

बौद्धिक विमर्शों से नाता तोड़ चुके हैं हिन्दी के अखबार

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्याल

हिन्दी पत्रकारिता को यह गौरव प्राप्त है कि वह न सिर्फ इस देश की आजादी की लड़ाई का मूल स्वर रही, बल्कि हिन्दी को एक भाषा के रूप में रचने, बनाने और अनुशासनों में बांधने का काम भी उसने किया है। हिन्दी भारतीय उपमहाद्वीप की एक ऐसी भाषा बनी, जिसकी पत्रकारिता और साहित्य के बीच अंतसंर्वाद बहुत गहरा था।