देश मंथन डेस्क
राजगीर में गुरुद्वारा शीतल कुंड में पहले गुरु की स्मृतियाँ हैं

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
राजगीर अपने ऐतिहासिक कारणों से प्रसिद्ध है। पर बहुत कम लोगों को ही जानकारी होगी कि राजगीर में सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने प्रवास किया था। यहाँ उनकी स्मृति में एक गुरुद्वारा भी है। पहले गुरु ने इस ऐतिहासिक स्थल पर 1506 ई. विक्रम संवत में प्रवास कर इस जगह को धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण बना दिया।
धरती पर भगवान (डॉक्टर) मुर्दे से भी कमाते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
जिसके पाँव में चक्कर हो वो कहीं से कहीं जा सकता है। वो चैन से बैठ ही नहीं सकता।
बेटे ने माँ की याद में बनवाया मकबरा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
औरंगाबाद शहर की पहचान बीबी का मकबरा। पर यहाँ हरियाली कुछ ज्यादा है।
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा, उनका भी अपराध

अजीत अंजुम, प्रबंध संपादक, इंडिया टीवी :
आशुतोष, मैं आपको बेहद संवेदनशील इंसान मानता था, लेकिन दिल्ली में एक किसान की खुदकुशी के बाद आपने जिस ढंग से रिएक्ट किया, उसके बाद से आपकी संवेदनशीलता संदिग्ध हो गयी है।
देश का ऊंघता नेतृत्व

अजय अनुराग :
विदेश से दो महीने की गुमनामी छुटियाँ (चिंतन अवकाश) बिताकर स्वदेश लौटे राहुल गांधी द्वारा कल संसद में दिया गया भाषण बेहद हैरान व परेशान करने वाला है।
सत्संग के दुष्परिणाम

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
सु-कंपनी नामक सज्जन ने गुरु-घंटाल अकादमी की मासिक समस्या-सुलझाओ गोष्ठी में अपनी समस्या यूँ रखी-मेरा नाम सु-कंपनी है, मैंने हमेशा सज्जनता आचरण किया है। शास्त्रोक्त सूत्रों के मुताबिक मैंने हमेशा उन्हे ही मित्र बनाया, जिनकी सज्जनता को लेकर मुझे कभी कोई शक ना रहा।
खेती करके वह पाप कर रहे हैं क्या?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
किसान मर रहे हैं। खबरें छप रही हैं। आज यहाँ से, कल वहाँ से, परसों कहीं और से। खबरें लगातार आ रही हैं। आती जा रही हैं। किसान आत्महत्याएँ कर रहे हैं। इसमें क्या नयी बात है? किसान तो बीस साल से आत्महत्याएँ कर रहे हैं।
सही नीयत और संपूर्ण भरोसे से होता है काम सफल

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
दो दिन बाद मेरी शादी होनी थी।
मैंने किसी से पूछा नहीं था, खुद ही तय कर लिया था कि शादी 20 अप्रैल को होगी। कैसे होगी, कौन कराएगा, होगी कि नहीं होगी, ये मेरे सोचने की ही बात थी, लेकिन मैं सोच नहीं रहा था।
बावन दरवाजों वाला शहर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
तपोवन एक्सप्रेस दोपहर ढाई बजे औरंगाबाद रेलवे स्टेशन पर दस्तक दे देती है। रेलवे स्टेशन की बाहरी साज सज्जा देखकर ही लग जाता है कि हम किसी ऐतिहासिक शहर में आ गये हैं। रेलवे स्टेशन से आधे किलोमीटर की दूरी पर बंसीलाल नगर में हमारा होटल है श्री माया।
सब कुछ हार जाओ, पर भरोसा नहीं हारना चाहिए

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
रावण हंस रहा था। खुशी के मारे उछल-उछल कर हंस रहा था।
"सीता, तुम्हें बहुत घमंड था न अपने राम पर। तुम इतराती थी न अपने देवर लक्ष्मण की शक्ति पर! जाओ खुद अपनी आँखों से देखो। देखो कैसे तुम्हारे पति राम और तुम्हारे देवर लक्ष्मण, दोनों हमारे पुत्र इंद्रजीत के हाथों मारे गये। हमारे पुत्र ने उन्हें सर्पबाणों से भेद दिया है।