देश मंथन डेस्क
माथेरन में देना पड़ता है प्रवेश शुल्क

 विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
माथेरन देश में एक ऐसा शहर है जहाँ हर सैलानी को प्रवेश शुल्क देना पड़ता है । आजकल हर बाहरी वयस्क के लिए 50 रुपये और बच्चों के लिए 25 रुपये ।
कब आयेगा बदलाव

 संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 
कल मुझे मेरी सोसायटी का माली मिल गया। उसके हाथों में ढेरों किताबें थीं। दुआ सलाम के बाद उसने मुझसे बीस हजार रुपये बतौर उधार मांगे।
जाहिर है मेरी जिज्ञासा ये जानने में थी कि आखिर अचानक इतने रुपयों की उसे क्या जरूरत आ पड़ी।
अब नहीं सोचेंगे, तो कब सोचेंगे?

 कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :
हाशिमपुरा और भी हैं ! 1948 से लेकर 2015 तक। कुछ मालूम, कुछ नामालूम ! जगहें अलग-अलग हो सकती हैं। वजहें अलग-अलग हो सकती हैं। घटनाएँ अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन चरित्र लगभग एक जैसा।
कश्मीरी पंडितों की वापसी से कौन डरता है?

 संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय  :
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय  :
कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने को लेकर अलगाववादी संगठनों की जैसी प्रतिक्रियायें हुयी हैं, वे बहुत स्वाभाविक हैं। यह बात साबित करती है कि कश्मीर घाटी में जो कुछ हुआ, उसमें इन अलगाववादियों की भूमिका और समर्थन रहा है।
गुस्सा आये तो दस तक गिनती गिनो

 संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पिताजी कभी - कभी कमरे में टहलने लगते और जोर - जोर से गुनगुनाते “श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव!”
जब पिताजी ये वाला मंत्र जाप करते तो हम समझ जाते कि हमसे कोई गलती हुयी है और पिताजी को बुरा लगा है, लेकिन वो हम पर गुस्सा करने की जगह कमरे में टहलना शुरू कर देते और अपने भगवान को याद करने लगते - “श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव!”
बड़ा होने पर मैंने पिताजी से पूछा कि मैं बचपन से आपको ऐसा करते देख रहा हूँ।
शाही गधे, शाही कचौड़ी

 आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
कसम से दिल बैठ जाता है, ऐसा बोर्ड देखकर - फलाँ शाही कचौड़ी की दुकान।
शाह ना बचे, सिर्फ कचौड़ियाँ बची रह गयी। एक दम फिलोसोफिकल किस्म की उदासी घेरने लगती है। शाहों से ज्यादा स्थायी तो कचौड़ियाँ निकलीं। एक ही सड़क पर चौदह दुकानें शाही कचौड़ियों की।
तो आखिर कब घटेगी आपकी ईएमआई

 राजीव रंजन झा :
राजीव रंजन झा :
मंगलवार 7 अप्रैल को सुबह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति सामने आते ही समाचार चैनलों की सुर्खियाँ बताने लगीं कि नहीं बदलेगी आपकी ईएमआई, लेकिन क्या बैंकों को उस दिन अपनी ईएमआई घटानी थी, और उन्होंने वह फैसला टाल दिया?
तीन मूर्ति भवन : यहाँ विराजती है दिलकश हरियाली

 विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली का तीन मूर्ति भवन। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का निवास स्थान। नेहरू जी के बाद को संग्रहालय और पुस्तकालय में परिणत कर दिया गया है।
रिश्तों को समझो, नहीं तो जीवन शाप लगेगा

 संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मैं कोई ज्योतिष नहीं हूँ, लेकिन मैं भविष्यवाणी कर सकता हूँ।
यह मेरी भविष्यवाणी है कि अगले कुछ वर्षों में आदमी इच्छा मृत्यु के शाप से ग्रस्त हो जायेगा।
कोई वादा किया हैं तो पूरा कीजिए

 विकास मिश्रा, आजतक :
विकास मिश्रा, आजतक :
एक आदमी ने नारियल के पेड़ पर ढेर सारे फल लगे देखा तो जोश में पेड़ पर चढ़ गया। पेड़ बहुत ऊंचा था, लेकिन उस आदमी के जोश से थोड़ा कम। उसने नारियल तोड़ कर नीचे फेंके और जब उतरने की बारी आयी तो नीचे देखा तो डर के मारे काँपने लगा।




 विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :  कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार : संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय  :
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय  : आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार : राजीव रंजन झा :
राजीव रंजन झा : विकास मिश्रा, आजतक :
विकास मिश्रा, आजतक :