देश मंथन डेस्क
रोड रेज में शराब का योगदान

संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन
दिल्ली के तुर्कमान गेट रोड रेज मामले में इस बात पर आश्चर्य जताया जा रहा है कि जब लोग मारपीट कर रहे थे तो किसी ने बचाने की कोशिश क्यों नहीं की। पुलिस ने भी ध्यान नहीं दिया।
रिश्ते हैं, लेकिन कोई रिश्ता बचा नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कई साल पहले एक रात हमारे घर की घंटी बजी।
तब हम पटना में रहते थे। आधी रात को कौन आया?
पिताजी बाहर निकले। सामने दो लोग खड़े थे। एक पुरुष और एक महिला।
जो कभी भारतीय क्रिकेट बोर्ड के हमसफर थे, जहर लगते हैं

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
जब भारतीय टीम दंगा-फसाद में अदर हो गयी थी
तब किसी को भी कानों-कान खबर हुई थी क्या !!!
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को पैसे ने किस कदर मदान्ध कर दिया है कि जो मीडिया कभी उसका हम सफर हुआ करता था, वही अब जहर जैसा लगने लगा है। कारण जानना आसान है।
दिल्ली 1975 : मेरा खोया बचपन

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
जैसे ही घुमावदार रिहाइश गलियों के बीच से निकलते हुये मुख्य सड़क पर निकलने को हुआ वैसे ही सामने टैगौर गार्डन केन्द्रीय विद्यालय का लोहे का दरवाजा इतने नजदीक आ गया कि वह सारे अहसास झटके में काफूर हो गये, जिन्हें सहेज कर घर से निकला था।
प्रशासनिक सुधार से न्यायिक सुधार होगा

सुशांत झा, पत्रकार :
गोविंदाचार्य जब कहते हैं कि सरकार जजों की संख्या बढ़ाने और त्वरित न्याय दिलाने के लिए 7000 करोड़ तक आवंटित करने को तैयार नहीं है, जबकि एयर इंडिया के लिए पिछली सरकार 30,000 करोड़ देने को तैयार थी तो उसमें कुछ और बातें जोड़नी आवश्यक है।
बीसीसीआई आज जहाँ है मीडिया की वजह से पर इतना अहंकार और इतनी कृतघ्नता!!

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
सात तारीख से आईपीएल लीग का आठवाँ संस्करण रंगारंग उद्घाटन समारोह के साथ शुरू होने जा रहा है। विश्व कप सम्पन्न हुए एक पखवाड़ा भी नहीं बीता होगा कि टी-20 का झमाझम सामने है, लेकिन आपको यदि खेल देखना है तो फिर अधिकृत ब्राडकास्टर चैनल का ही आपको सहारा है।
भाजपा : वाणी को कर्म में बदलने की चुनौती

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
भारतीय जनता पार्टी की बेंगलूरू कार्यकारिणी के संदेश आखिर क्या हैं? क्या पार्टी नई चुनौतियों से जूझने के लिए तैयार है? बदलते देश की बड़ी उम्मीदों पर सवार भाजपा सरकार के लिए वास्तव में कुछ कर दिखाने का समय है।
कृपया काम अधिक, छुट्टियाँ कम कीजिए जज साहब

अभिरंजन कुमार :
न्यायाधीशों की कांफ्रेंस का इस आधार पर विरोध करना कि वह गुड फ्राइडे के दिन क्यों रखी गयी, जस्टिस जोसेफ कुरियन की सांप्रदायिक, संकीर्ण और कुंठित सोच को दर्शाता है।
मौके का दाँव लगा तो टैलेंट दिखा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पहली बार जब मैं ट्रेन में सफर कर रहा था तब पिताजी के साथ सबसे ऊपर वाली बर्थ पर बैठा था।
हंसों से सीखें रिश्ते निभाना

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
आपने कभी हंसों को उड़ते हुए देखा है?