Thursday, August 21, 2025

देश मंथन डेस्क

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बीत गये 49 दिन,लापता है जन लोकपाल

संदीप त्रिपाठी :

दिल्ली में आप की सरकार बने और अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बने आज (4 अप्रैल,(शनिवार) 50वाँ दिन है। पिछली बार सरकार 49 दिन चली थी। तब अरविंद केजरीवाल ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि विपक्ष जन लोकपाल पारित करने में सहयोग नहीं कर रहा है।

इतिहास बोल रहा है, आप सुनेंगे क्या?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:

कहीं का इतिहास कहीं और का भविष्य बाँचे! बात बिलकुल बेतुकी लगती है न! इतिहास कहीं और घटित हुआ हो या हो रहा हो और भविष्य कहीं और का दिख रहा हो! लेकिन बात बेतुकी है नहीं! समय कभी-कभार ऐसे दुर्लभ संयोग भी प्रस्तुत करता है!

सिगरेट निर्माता कंपनी की दलाली कर रहे हैं भाजपा सांसद?

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

यह हो क्या रहा है! भाजपा के दो तंबाकू प्रेमी सांसदों का दावा है कि तंबाकू से कैसर नहीं होता और इस संदर्भ में सरकार को सर्वे कराना चाहिए।

बिहार बीजेपी वाया गिरिराज सिंह@ फेयर-इन-लवली

सुशांत झा, पत्रकार :

गिरिराज ने जो टीवी फुटेज खाया है उसमें उनकी पार्टी और उनका दोनों का हित सधता है। पहचान(!) का संकट बिहार में उन्हें पहले भी नहीं था, अब तो वो पहचान घनीभूत हो गयी है।

पौराणिक कहानियाँ जीवन की पाठशाला हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आदमी चाहे तो किसी एक कण से भी जिंदगी में बहुत कुछ सीख सकता है। 

मैंने बचपन में सुनी और पढ़ी तमाम कहानियों में से हाथी और मछली की कहानी को जीवन के सार-तत्व की तरह लिया। हालाँकि वहाँ तक पहुँचने के लिए मुझे राजा यदु और अवधूत की मुलाकात की कहानी भी माँ ने ही सुनायी थी।

अदभुत, अकल्पनीय, अनिंद्य, अभिराम है मुगल गार्डन

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

भारत के राष्ट्रपति के निवास स्थान राष्ट्रपति भवन के परिसर में स्थित है मुगल गार्डन। ये बागीचा साल में सिर्फ एक महीने ही आम जनता के लिए खोला जाता है।

रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून

विकास मिश्रा, आजतक  : 

इलाहाबाद में जब पढ़ता था तो शुरुआत में केपीयूसी हॉस्टल में रहा। पीने का पानी भरने के लिए नीचे जाना पड़ता था। मटके में पानी भरकर रखते थे, लेकिन कई बार झंझट से बचने के लिए टंकी का पानी पी लिया करते थे। ये सिर्फ मेरी ही बात नहीं थी, ज्यादातर लोग टंकी का ही पानी पीते थे।

थाली साफ करना

विकास मिश्रा, आजतक  : 

मेरे पिताजी खाने की थाली में कुछ नहीं छोड़ते। खाने के बाद थाली बिल्कुल साफ। अगर परोसने में रोटी जमीन पर गिर जाती है तो उसे उठाकर वे थाली में रख लेते हैं।

कैसे पड़ा दिल्ली नाम

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार: 

देश की राजधानी दिल्ली। कभी इसका नाम इंद्रप्रस्थ था। कभी शाहजहानाबाद। पर दिल्ली का नाम दिल्ली कैसे पड़ा, इस बारे में कई कहानियाँ हैं। कहा जाता है कि फारसी शब्द दहलीज से दिल्ली नाम पड़ा। विदेशी इसे भारत की दहलीज मानते रहे।

मृत्यु अटल है, जीवन सकल है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आज आपको एक न में ले चलता हूँ। 

अपने जीवन में मुझे एक बार ओशो से मिलने का मौका मिला।