Thursday, August 21, 2025

देश मंथन डेस्क

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लोग क्या कहेंगे

संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन : 

समाज में लोग क्या कहेंगे - सबसे बड़ी समस्या है। कुछ भी करो मना करना हो तो सबसे साधारण पर सबसे लचर दलील यही है। इसलिए रेडियो सिटी 91.1 एफएम ने जब अक्षय और जीनत का मामला उठाया तो मुझे लगा अब हो गया लोग क्या कहेंगे - का इंतजाम।

‘आप’ का क्या होगा जनाब-ए-आली?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :

 ‘आप’ बड़े ताप में है! पारा गरम है। पार्टी तप रही है। तलवारें फिर तनी हैं।

‘सोच’ बनी ‘समस्या’

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

मेरे आज के लिखे को पढ़ कर प्लीज नाक भौं मत सिकोड़ियेगा। इन दिनों इस विषय को सरकार जोर-शोर से उठा रही है। ये आदमी की नैसर्गिक जरूरत है।

शोशे की सरकार

संदीप त्रिपाठी : 

दिल्ली में गर्मियां शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो गयी। मई-जून में क्या होगा, पता नहीं। बिजली-पानी के सवाल पर सरकार बनाने वाले आप नेता अरविंद केजरीवाल ने हाथ खड़े कर दिये हैं।

उल्टे बांस बरेली…

मोहनीश कुमार,  (इंडिया टीवी, वरिष्ठ पत्रकार)

उल्टे बांस बरेली... बचपन से ये मुहावरा सुनते आये हैं... अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को इस मुहावरे को चरितार्थ करते देख रहे हैं...

धैर्य, लगन और ईमानदार मेहनत से मिलता है पुरस्कार

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आज मुझे एक गुदगुदाने वाले रिश्ते के बारे में लिखना था, लेकिन सुबह जैसे ही नींद खुली याद आया कि आज कंगना रनाउत से मिलना है।

नंदन कानन : ओडिशा का अनूठा जैविक उद्यान

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के बाहरी इलाके में स्थित नंदन कानन उद्यान देश के सुंदरतम चिड़ियाघरों में से एक है। इसके साथ खास बात यह है कि प्राकृतिक वन क्षेत्र में यह जैविक उद्यान बनाया गया है।

लोक-माध्यमों पर छलकी 66ए रद होने की खुशी

डेस्क, देश मंथन :

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किये जाने पर सोशल मीडिया में उत्सव का माहौल है। फेसबुक, ट्विटर पर लोग तरह-तरह से अपना उल्लास प्रदर्शित कर रहे हैं।

हौसले और अभ्यास से मिलती है उड़ान

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

पिताजी के साथ बड़ौदा में आखिरी फिल्म मैंने ‘रंगीला’ देखी थी। 

पता नहीं क्यों पिताजी को फिल्म बहुत पसंद आयी थी। जब हम फिल्म देख कर लौट रहे थे, तो पिताजी ने कहा कि इस फिल्म में उर्मिला मातोंडकर ने बहुत अच्छी एक्टिंग की है।

…और बड़ौदा तक पहुँची नैरो गेज रेल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

एक जुलाई 1880 को नैरो गेज लाइन दभोई से चलकर गोया गेट ( बड़ौदा) तक पहुँची। हालाँकि इस लाइन के लिए सर्वे काफी पहले 1860 में ही कर लिया गया था।