देश मंथन डेस्क
रात के अंधेरे में जो करते हैं, वही हमें एक दिन उजाले में लाता है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
एक नौजवान हर रात देर तक स्विमिंग पूल में तैरने का अभ्यास करता है। जब सारी दुनिया सो रही होती है, वो अंधेरे में अभ्यास कर रहा होता है।
तुम घटिया, तुम्हारी साड़ी घटिया

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
निवेदन-यह व्यंग्य मूलत चालीस के उस पार की आदरणीयाओं के लिए है।
ऐसी कल्पना उभरती है कि जब परमात्मा ने पूरी सृष्टि बना ली होगी, तमाम रंग बना लिये होंगे, तो तब मिसेज परमात्मा को बुलाकर वे रंग दिखाये होंगे। परमात्मा ने मिसेज परमात्मा से कहा होगा बताओ इन रंगों का क्या करें। मिसेज परमात्मा ने निश्चित तौर पर कहा होगा-इतने सारे रंगों की साड़ियाँ होनी चाहिए। सिर्फ इतने ही रंगों की क्यों, इन रंगों को मिक्स कर दिया जाये, फिर जितने किस्म के शेड बनें, उन सबकी साड़ियाँ होनी चाहिए।
कश्मीरी व्यापारियों में तलाशें समस्या का हल

संदीप त्रिपाठी :
संसद में कश्मीर पर बहस चल रही है। विपक्ष सलाह दे रहा है कि कश्मीर मसले पर संवेदनशील होने की जरूरत है, हमें कश्मीर और कश्मीरियत को बचाना है। विपक्ष के कई दलों के नेताओं के कथन को सुनें तो लगेगा कि पूरी कश्मीर समस्या की जड़ में मोदी सरकार का कश्मीर के प्रति असंवेदनशील रवैया है। अगर इस सरकार का रवैया संवेदनशील होता तो कश्मीर की समस्या खत्म हो गयी होती।
मरी बकरी रख लोगों से वसूली

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
सुनिए, मेरी आज की कहानी पढ़ कर आप सिर्फ अपने तक मत रखिएगा। उसे अपनी वॉल पर साझा कीजिएगा, अपने दोस्तों को सुनाइएगा। दरअसल आज की मेरी कहानी हँसने या रोने की कहानी नहीं, बल्कि यह राह चलते किसी अनजान मुसाफिर को लूट लेने की कहानी है। कभी-कभी जिन्दगी में ऐसा हो जाता है कि आप ऐसे गिरोह के चक्कर में फंस जाते हैं कि आप चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते। इसलिए ऐसी कहानियों को लोगों से साझा करके आप एक भलाई का काम करेंगे।
हार्ट का नया माडल

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
और, और, और, और लीजिये, पुराने भले ही अभी सिर्फ तीन महीने ही पुराना क्यों ना हो, नया ले ही लीजिये।
कलिखो पुल : आत्महत्या या साजिश

संदीप त्रिपाठी :
अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री 47 वर्षीय कलिखो पुल मुख्यमंत्री आवास स्थित अपने कमरे में फंदे से लटके पाये गये। कलिखो पुल वही हैं जिन्होंने नवंबर-दिसंबर, 2015 में अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ बगावत की थी और कांग्रेस विधायक दल के लगभग आधे विधायक कलिखो पुल के साथ आ गये थे।
भाई की आँखों में चमक और बहन की आँखों में प्यार

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
माँ तीन दिनों के लिए पिताजी के साथ बाहर गई थी। मैं बिना माँ के एक दिन नहीं रह सकता था। माँ ने जाते हुए मुझसे दो साल बड़ी बहन को निर्देश दिया था कि संजू का ख्याल रखना। बहन चुपचाप खड़ी थी।
भाजपा में स्वामी प्रसाद, कितनी मजबूरी-कितनी रणनीति

संदीप त्रिपाठी :
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती पर आरोपों की झड़ी लगा कर 22 जून को पार्टी छोड़ने वाले उनके विश्वस्त रहे स्वामी प्रसाद मौर्य आखिरकार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। यानी डेढ़ महीने की मशक्कत के बाद स्वामी प्रसाद को भाजपा में जगह मिली।
‘प्रेतलेखन’ और अनुवाद

सुशांत झा, पत्रकार :
मेरे एक मित्र ने पूछा कि 'प्रेत लेखन'(Ghost writing) की क्या कीमत होनी चाहिए? मैंने कहा, "प्रेत किसका है?" वो मुस्कुराया। मैंने कहा कि तुम्हारी मुस्कुराहट बताती है कि प्रेत मालदार है और अपना आदमी है।
इस गर्जन-तर्जन से क्या हासिल?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
जब पूरा पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान कश्मीर में आग लगाने की कोशिशें में जुटा है तब हमारे गृहमंत्री राजनाथ सिंह पाकिस्तान क्यों गये, यह आज भी अबूझ पहेली है। वहाँ हुयी उपेक्षा, अपमान और भोजन छोड़ कर स्वदेश आ कर उनकी ‘सिंह गर्जना’ से क्या हासिल हुआ है? क्या उनके इस प्रवास और आक्रामक वक्तव्य से पाकिस्तान कुछ भी सीख सका है? क्या उसकी सेहत पर इससे कोई फर्क पड़ा है? क्या उनके पाकिस्तान में दिए गए व्याख्यान से पाकिस्तान अब आतंकवादियों की शहादत पर अपना विलाप बंद कर देगा? क्या पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान भारत के प्रति सद्भाव से भर जाएगा और कश्मीर में आतंकवादियों को भेजना कर देगा? जाहिर तौर पर इसमें कुछ भी होने वाला नहीं है।



संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
संदीप त्रिपाठी :
सुशांत झा, पत्रकार :
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :




