Wednesday, August 20, 2025

देश मंथन डेस्क

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वाहकाबा फाल्स – मीठे मीठे झरने हैं, झरनों का पानी कैसा…

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:  

शिलांग से चेरापूंजी जाने वाली सड़क काफी अच्छी है। पहाड़ों के साथ चहल कदमी करती सड़क के दोनों तरफ हरियाली खूब है। रास्ते में कई मोड़ आते हैं पर ये मोड़ तीखे नहीं हैं।

बुधवार पेठ- यहाँ सावित्री बाई फूले ने खोला था पहला बालिका विद्यालय

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:  

अगर महाराष्ट्र का शहर मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है तो पुणे महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी। पुणे महाराष्ट्र का पुराना शहर है। इसे पुण्य नगरी भी कहा जाता है।

बादलों के संग संग.. चेरापूंजी की राह पर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:  

चेरापूंजी के रास्ते में हमारा पहला पड़ाव था मॉकडोक ब्रिज। इससे पहले शिलांग शहर से बाहर निकलते ही चेरापूंजी का सुहाना रास्ता आनंदित करने लगा था। चटकीली धूप में गरमी बिल्कुल नहीं लग रही थी।

भारतीय राजनीति का ‘मोदी समय’

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

चुनावों का संदेशः अपनी रणनीति पर विचार करे विपक्ष

सही मायनों में यह भारतीय राजनीति का ‘मोदी समय’ है। नरेंद्र मोदी हमारे समय की ऐसी परिघटना बन गए हैं, जिनसे निपटने के हथियार हाल-फिलहाल विपक्ष के पास नहीं हैं।

एक बार फिर …गुवाहाटी से शिलांग

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:  

गुवाहाटी से शिलांग के बीट नूंगपो में सुबह सुबह...

यह संयोग ही है कि साल 2016 में दूसरी बार गुवाहाटी से शिलांग जा रहा हूँ। एक जनवरी के बाद एक बार फिर अक्तूबर में। ढिब्रूगढ़ इंटरसिटी गुवाहाटी शहर में प्रवेश कर रही है और साथ साथ सुबह का उजाला हो रहा है।

क्या एक दिन खत्म हो जायेगा माजुली द्वीप

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:  

संसार के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली का अस्तित्व खतरे में है। यह एक सच है क्योंकि कई दशक का रिकार्ड बताता है कि द्वीप साल दर साल कटाव झेल रहा है और उसका भौगोलिक दायरा सिकुड़ता जा रहा है।

उत्तम प्रदेश में प्रजापति करते थे प्रजा से बलात्कार- इस तरह बोलता था ‘काम!’

अभिरंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार :

इक्कीसवीं सदी की जवानी परवान पर थी। सोलहवाँ साल अभी-अभी पूरा हुआ था। सत्रहवाँ लग चुका था। ‘उत्तम प्रदेश’ में ‘समाजवादी प्रजातंत्र’ का जबर्दस्त जलवा था। जलवा भी ऐसा-वैसा नहीं! बस यूँ समझ लीजिए कि ‘काम’ बोलता था। ‘प्रजातंत्र’ के ‘प्रजापति’ लोग ‘कामुकता’ की पराकाष्ठा पार कर चुके थे। वे मानते थे कि वे ‘प्रजा’ के ‘पति’ हैं, इसलिए उन्हें ‘प्रजा’ के साथ वह सब करने का अधिकार है, जो एक पति अपनी पत्नी के साथ करता है। पीड़ित ‘प्रजा’ भले इसे बलात्कार मानती थी, लेकिन वे स्वयं इसे ‘काम’ समझकर ही अंजाम दिया करते थे।

राजनीति के बिगड़े बोल

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

भारतीय राजनीति में भाषा की ऐसी गिरावट शायद पहले कभी नहीं देखी गयी। ऊपर से नीचे तक सड़कछाप भाषा ने अपनी बड़ी जगह बना ली है। ये ऐसा समय है जब शब्द सहमे हुए हैं, क्योंकि उनके दुरूपयोग की घटनाएं लगातार जारी हैं। राजनीति जिसे देश चलाना है और देश को रास्ता दिखाना है,वह खुद गहरे भटकाव की शिकार है।

भारतीय नौजवानों में जहर घोलता आईएस

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

समूची मानवता के लिए खतरा बन चुके खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के प्रति भारतीय युवाओं का आकर्षण निश्चित ही खतरनाक है। कश्मीर से लेकर केरल और अब गुजरात में दो संदिग्धों की गिरफ्तारी चिंतनीय है ही।

रेत के टीलों के बीच डूबता सूरज – एन इवनिंग इन सम सैंड ड्यून्स

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:  

सम सैंड ड्यून्स। जैसलमेर की सबसे रोचक और रोमांटिक लोकेशन है। हर जैसलमेर आने वाला सैलानी वहाँ जाना चाहता है। जाए भी क्यों नहीं। जिस तरफ आप पहाड़ों पर बर्फ और समंदर के किनारे लहरें देखने जाते हैं, ठीक उसी तरह लोग थार में सैंड ड्यून्स देखने आते हैं।