Manoj Thakur
पापू यहीं कहीं हैं… क्योंकि शब्द रहते हैं हमेशा जिंदा
विद्युत प्रकाश मौर्य:
पापू नहीं रहे। हाँ, उनके बच्चे और उनसे करीब से जुड़े हुए लोग उन्हें इसी नाम से जानते थे। पापू यानी रॉबिन शॉ पुष्प। उन्होंने 30 अक्तूबर 2014 को अपने तमाम चाहने वालों का साथ छोड़ दिया। लेकिन पापू जैसे शब्द-शिल्पी कभी इस दुनिया से जाते हैं भला? नहीं जाते, क्योंकि शब्द मरा नहीं करते।
क्या होगा, जब आयेगी इंटरनेट की सुनामी?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार:
इंटरनेटजीवियों के बारे में यह खबर बिल्कुल भी अच्छी नहीं है! इंटरनेट कंपनियाँ जरूर इससे खुश हो लें, लेकिन मुझे तो इसने थोड़ा डरा दिया है। वैसे, यह बात तो सभी जानते हैं कि इंटरनेट के बिना अब न दुनिया चल सकती है और न लोगों की जिंदगी!
जब कड़ाही को हुआ बच्चा…
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक:
एक बार एक आदमी किसी मुहल्ले में नया-नया रहने आया। एक दिन उसने अपने पड़ोसी से कड़ाही माँगी, यह कहते हुए कि घर पर कुछ मेहमान आने वाले हैं और वह इस्तेमाल के बाद कल तक उसे कड़ाही वापस कर देगा। पड़ोसी ने बहुत कुनमुनाते हुए, अनमने ढंग से उसे एक पुरानी और टूटी हुई कड़ाही दे दी।
समय उसी का साथ देता है जो…
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
जिन दिनों हम अमेरिका में थे, हमें कई तरह के अनुभवों से गुजरना पड़ा - एक से बढ़ कर एक हास्यास्पद घटनाओं से, एक से एक बढ़ कर संवेदनशील घटनाओं से और एक से एक बढ़ कर शिक्षाप्रद घटनाओें से। अपने संपर्क में आने वाले बहुत से लोगों को मैं एक घटना सुनाता हूँ। यह मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा है।