राजीव रंजन झा
जब चिड़िया का दाना नहीं लौटाया पेड़ ने
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
बहुत छोटा था तो माँ अपने साथ सुलाते हुए उस चिड़िया की कहानी सुनाती थी, जिसका एक दाना पेड़ के कंदरे में कहीं फँस गया था। चिड़िया ने पेड़ से बहुत अनुरोध किया वह दाना लौटा देने के लिए।
हमें उपनिषदों ने सिखाया है सेक्युलरिज्म का मूल पाठ
राकेश उपाध्याय, पत्रकार :
जिस देश के जनजीवन में, आम लोगों की ज़िंदगी में जब सेक्युलरिज्म का जज्बा रहता है, तभी उस देश में भी सेक्युलरिज्म जिंदा रहता है। राज्य सेक्युलर हो या नहीं, समाज की मानसिकता में सेक्युलरिज्म होना चाहिए।
हाँ, मैं हाफिज सईद से मिला हूँ, और मै पत्रकार हूँ
पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
हाफिज सईद पर खामोशी बरत पाकिस्तान से बातचीत कितनी बेमानी है? अभी नरेंद्र मोदी की बात कर रहा है, 14 बरस पहले बाला साहेब ठाकरे की बात कर रहा था।
सीसैट पर उच्च न्यायालय के निर्देश की अनदेखी
विराग गुप्ता, अधिवक्ता एवं संविधानविद :
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में सीसैट परीक्षा प्रणाली (सिविल सर्विसेज ऐप्टिट्यूड टेस्ट) ला कर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ के लिए जहाँ पूर्ववर्ती यूपीए सरकार जिम्मेदार है, वहीं भाजपा सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है।
गर आपके घर आकर ईद मनायें तो?
विनीत कुमार, मीडिया आलोचक :
मयूर विहार में वो मेरी एक्सक्लूसिव और आखिरी मेड थी। वो मजाक में कहा करती - भइया, आप हमको काम करने के नहीं, बात करने के पैसे देते हो? बताओ, हमको खाना टाइम से बनाना चाहिए तो आते ही चाय बना कर मेरे साथ चाय पीने लग जाते हो।
यूपीएससी की सीसैट परीक्षा असंवैधानिक : गोविंदाचार्य
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महासचिव और राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक के. एन. गोविंदाचार्य ने यूपीएससी की सीसैट परीक्षा प्रणाली के विरोध में चल रहे छात्र आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है।
मीडिया के सामने विश्वसनीयता का सवाल
प्रख्यात पत्रकार और जनसत्ता के संस्थापक संपादक प्रभाष जोशी की पुण्य स्मृति में प्रभाष परंपरा न्यास ने उनके जन्मदिन के सप्ताह में रविवार 20 जुलाई 2014 को राजघाट स्थित गांधी स्मृति दर्शन में एक व्याख्यान प्रभाष प्रसंग - 5 का आयोजन हुआ।
रेलवे को आधुनिक बनाना जरूरी : नरेंद्र तनेजा
नरेंद्र तनेजा, राष्ट्रीय संयोजक (ऊर्जा प्रकोष्ठ), भाजपा :
रेलवे के किराये-भाड़े आज से कुछ साल पहले बढ़ाये जाने चाहिए थे, लेकिन चुनाव और लोकप्रिय बजट आदि के मद्देनजर इसे लागू नहीं किया गया।
राहत देने के बदले महँगाई बढ़ाने वाला फैसला
राजेश रपरिया, सलाहकार संपादक, निवेश मंथन :
रेलवे के किराये अभी बढ़ाने का कोई अर्थ नहीं था। पूत के पाँव पालने में दिख रहे हैं। जनता ने इन्हें महँगाई के खिलाफ वोट दिया है। पर यह सरकार कांग्रेस की उन नीतियों से, जिनकी नींव मनमोहन सिंह ने 1991 में रखी थी, मुक्त नहीं हो पा रही है।
जब शाहरुख ने फिल्म निर्माता से माँगा मकान
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मैं अभी दिल्ली में जिस फ्लैट में रहता हूँ, उसके बारे में मेरी पत्नी को लगता है कि छोटा है। मुझे लगता है कि ढाई लोगों के परिवार में तीन बेड रूम कम तो नहीं! उपर से ठीक-ठाक आकार का ड्राइंग-डाइनिंग रूम भी है, बड़ी-सी बॉलकनी है, लंबी चौड़ी छत है, घर के नीचे बीएमडब्लू है। लेकिन मेरी पत्नी को फिर भी लगता है कि मकान तो और बड़ा होना चाहिए। कितना बड़ा, यह नहीं पता।