Friday, August 22, 2025

Sam

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मोदी की छवि में चार चाँद

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

प्रधानमंत्री पद के लिए नेता पद स्वीकार करते समय नरेंद्र मोदी ने संसद के केंद्रीय कक्ष में जो भाषण दिया, उसने मोदी की छवि में चार चाँद लगा दिए हैं।

क्यों अलोकतांत्रिक है आनंदी बेन के चयन का तरीका

राजीव रंजन झा :

नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उन्हें मिले विशाल जनादेश की ओट में आनंदी बेन पटेल का मुख्यमंत्री चुना जाना लोकतांत्रिक परंपरा के बारे में कुछ सवाल खड़े कर जाता है।

संघ सिस्टम बनाम नो सिस्टम

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :

आखिर कौन नहीं चाहता था कि कांग्रेस हारे। सीएजी रिपोर्ट और लोकपाल आंदोलन के वक्त दो साल तक कांग्रेस ने जिस अहंकार का प्रदर्शन किया क्या उसकी सजा मिलने पर जश्न नहीं होना चाहिए।

माँ-बेटा कांग्रेस पर कृपा करें

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

कांग्रेस ने इस चुनाव में जैसी मार खाई, क्या पहले कभी खाई? लेकिन कोई भी मुँह क्यों नहीं खोल रहा है? क्योंकि इस पार्टी के बड़े-बड़े नेपोलियन बोनापार्ट पिछले 40-45 साल में बौने हो गये हैं।

चुनावी नतीजों पर याद आती कुछ पुरानी बातें

राजीव रंजन झा :

लोक सभा चुनाव में भाजपा को अकेले अपने दम पर बहुमत पाने के बाद मुझे बीते साल दो तीन साल में लिखी अपनी बहुत-सी पुरानी बातें याद आ रही हैं। क्या भूलूँ क्या याद करूँ? ...क्या-क्या गिनाऊँ?

चुनाव के बाद सोशल मीडिया पर हास परिहास का दौर

लोक सभा चुनाव के बाद सोशल मीडिया पर हास परिहास भी चरम पर है। एक से बढ़ कर एक मजाकिया टिप्पणियाँ फैल रही हैं। इनमें से किस टिप्पणी या चुटकुले को सबसे पहले किसने लिखा, यह खोज पाना तो संभव नहीं लगता।

सोलह मई

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :

नतीजा आ गया। वैसा ही आया जैसा आने की बात बीजेपी कह रही थी। इस नतीजे का विश्लेषण नाना प्रकार से होगा, लेकिन जनता ने तो एक ही प्रकार से फ़ैसला सुना दिया है। उसने गुजरात का मॉडल भले न देखा हो मगर उस मॉडल के बहाने इतना तो पता है कि चौबीस घंटे बिजली मिलने में किसे एतराज है।

मोदी सरकार पर माथापच्ची

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :

गांधीनगर से कल आयीं तस्वीरें संभावित मोदी सरकार की रूपरेखा को बयान कर रही हैं। राजनाथ सिंह और अरुण जेटली सोफे की सिंगल सीट पर बैठे हैं।

देता है बोसा, बगैर इल्तिजा किए!

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

न भाजपा ने कहा और न ही नरेंद्र मोदी ने! दोनों ने ही नहीं कहा कि हमें आपसे संबंध बढ़ाने हैं लेकिन फिर भी ओबामा प्रशासन बधाइयाँ भेज रहा है। भारत की दाढ़ी सहला रहा है। मुझे गालिब की एक पंक्ति इस मौके पर याद आ रही है।

ऐ राजा बनारस!

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :

रोज देखा जाने वाला, कहा जाने वाला, सुना जाने वाला लिखा जाने वाला और इन सबसे ऊपर जीया जाने वाला शहर है। इसकी इतनी परिभाषाएँ और व्यंजनाएँ हैं कि यह शहर हर लफ्ज के साथ कुछ और हो जाता है।