Thursday, November 21, 2024

Sam

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झाड़ू यानी नोटा?

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :

चुनावों में एक नया चलन शुरू हुआ है। नोटा का। यानी नन ऑफ द अबव (ऊपर दिए गये में से कोई नहीं) का।

पपेटियर

अमिष श्रीवास्तव, वॉयस ऑफ अमेरिका :

श्रीमती सोनिया गाँधी कांग्रेस के सवा सौ साल के इतिहास मे सबसे लंबे समय तक रहने वाली अध्यक्ष हैं। बेकार की जानकारी है ये, लेकिन दे रहा हूँ क्योंकि एक बार पढ़ कर मैं चौंक गया था।

कहाँ गये हनुमान?

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :

जसवंत सिंह और हरिन पाठक दोनों में एक समानता है। दोनों हनुमान कहे जाते हैं। जसवंत सिंह अटल बिहारी वाजपेयी के हनुमान तो हरिन पाठक लाल कृष्ण आडवाणी के हनुमान।

बीजेपी के सागर में बनता टापू

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी : 

आखिरकार आडवाणी मान गये। मानना ही था। कोई रूठता भी इसीलिए है ताकि उसे मनाया जाये और तभी वो माने।

जिनका वक्त काटे नहीं कटता

एल्फ्रेड नोबल, पत्रकार :

सोसाइटी के एक फ्लैट में शर्मा अंकल, आंटी रहते हैं। पचहत्तर से ज्यादा उम्र होगी। एक बेटा, एक बेटी है। बेटे को दो बेटियाँ और बेटी खुद भी हाल ही में नानी बनी हैं।

मिनट भर में जिंदगी धुआँ हो गयी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

कल सुबह दफ्तर के लिए निकला। कार में बैठा, कार ड्राइवर चला रहा था। कार में बैठते ही मैंने मोबाइल पर मेल देखना शुरू कर दिया।

आडवाणी: अथक रथी से अथक हठी तक

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी : 

बीजेपी के सबसे बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी एक बार फिर रूठे हैं।

‘आप’ का ‘आपना’ सिब्बल!

केंद्रीय संचार मंत्री और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने भी इंटरनेट पर अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन कुछ वेबसाइटों पर दिख रहे उनके प्रचार की पंक्ति लोगों को मुस्कुराने पर विवश कर रही है।

दूल्हा तो मोदी ही हैं, आडवाणी हैं नाराज फूफा

आडवाणी फिर से अपनी नाराजगी को लेकर सुर्खियों में हैं। पहले वे इस अंदेशे से नाराज थे कि बार-बार बुजुर्गों को लोकसभा चुनाव से दूर रहने की सलाह देने का मतलब कहीं उन्हें चुनावी दौड़ से बाहर करना तो नहीं है।

भटकते राहुल गाँधी क्या खोज रहे हैं

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :

देश के हर रंग को साथ जोड़कर ही कांग्रेस बनी थी और आज कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी को कांग्रेस को गढ़ने के लिये देश के हर रंग के पास जाना पड़ रहा है।