Sam
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http://deshmanthan.inसंघ की बिसात पर सोशल इंजीनियरिंग
पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक
नरेंद्र मोदी, रामविलास पासवान और उदितराज। तीनों की राजनीतिक मजबूरी ने तीनों को एक साथ ला खड़ा किया है। या फिर तीनों के लाभालाभ ने एक दूसरे का हाथ थामने के हालात पैदा कर दिये हैं।
केजरीवाल (Kejriwal) ने क्यों किया सरकार का बलिदान
राजीव रंजन झा (Rajeev Ranjan Jha)
हाँ, मुझे यकीन नहीं था कि दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को झोली भर कर इतनी सीटें दे देगी। लेकिन मैंने यह भी नहीं सोचा था कि केजरीवाल बिल्ली के भाग से छींका टूटे वाली शैली में अपनी झोली में आ गिरे इस अवसर को यूँ गँवा देंगे।
अगले वित्त मंत्री को चिदंबरम का कंटीला उपहार
राजीव रंजन झा
मुझे नहीं पता कि भारत के अगले वित्त मंत्री कौन होंगे, लेकिन उनके बारे में मैं शर्तिया एक बात की भविष्यवाणी कर सकता हूँ।
निखर कर सामने आये हैं राहुल गांधी (Rahul Gandhi)
विनोद शर्मा, राजनीतिक संपादक, हिंदुस्तान टाइम्स
एआईसीसी के सत्र में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का भाषण उनके अपने मानक से अब तक सबसे बेहतरीन भाषण था। इसमें हँसी-मजाक, जोश और वादे थे। कुल मिला कर संतुलित भाषण था।