चीन ने अपने यहाँ क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाये हैं। अभी बुधवार 14 जुलाई को ही चीन के आनहुई प्रांत में क्रिप्टो-माइनिंग को रोकने के लिए बहुत व्यापक घोषणा की गयी है। दरअसल क्रिप्टो-माइनिंग में बिजली की खपत बहुत अधिक होती है, जिसके चलते चीन ने यह सख्ती की है।
बिटकॉइन और इसके जैसी विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी पर चीन की सख्ती लगातार बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही इन क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों पर भी लगातार दबाव बढ़ रहा है। बिटकॉइन ही नहीं, इथीरियम, कार्डानो, रिपल जैसी क्रिप्टोकरेंसी के दाम भी पिछले कुछ समय से काफी नीचे आये हैं। एक बिटकॉइन की कीमत घट कर लगभग 31,500 डॉलर पर आ गयी है, जो अप्रैल में लगभग 64,000 डॉलर के ऐतिहासिक उच्च स्तर से आधी है। जून के तीसरे हफ्ते में भी बिटकॉइन लगभग इन्हीं निचले स्तरों पर आ गया था और उस समय भी चीन के सख्त कदम ही इस गिरावट का कारण बने थे।
चीन ने अपने यहाँ क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाये हैं। अभी बुधवार 14 जुलाई को ही चीन के आनहुई प्रांत में क्रिप्टो-माइनिंग को रोकने के लिए बहुत व्यापक घोषणा की गयी है। दरअसल क्रिप्टो-माइनिंग में बिजली की खपत बहुत अधिक होती है, जिसके चलते चीन ने यह सख्ती की है। आनहुई प्रांत ने तीन साल में क्रमशः अपने यहाँ क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग को समाप्त करने की घोषणा की है। वैसे चीन का यह प्रांत क्रिप्टो-माइनिंग का कोई बड़ा केंद्र नहीं है। चीन में इनर मंगोलिया, शिनजिआंग, युन्नान और सिचुआन जैसे प्रांत क्रिप्टो-माइनिंग के मुख्य केंद्र रहे हैं। इन प्रांतों ने पहले ही क्रिप्टो-माइनिंग को रोकने के लिए सख्त नियम बनाये हैं।
क्रिप्टोकरेंसी पर चीन की सख्ती का यह दौर इस साल मई में शुरू हुआ था। चीन सरकार ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं और व्यवस्था एवं स्थिरता बनाये रखने की जरूरत बताते हुए अपने यहाँ क्रिप्टोकरेंसी के नियमन में कड़ाई शुरू की। बिटकॉइन या इसके जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी में माइनिंग या खनन का मतलब है कंप्यूटर की जटिल समस्याओं को हल करने वालों को पुरस्कार के रूप में वह क्रिप्टोकरेंसी मिलना। लेकिन इस प्रक्रिया में जो कंप्यूटर उपयोग में लाये जाते हैं, वे काफी उच्च क्षमता वाले होते हैं और काफी बिजली खर्च करते हैं।
चीन में सस्ती बिजली उपलब्ध होने के कारण क्रिप्टो-माइनिंग करने वाले चीन को अपना मुख्य केंद्र बनाने लगे। विभिन्न अनुमानों के हिसाब से बिटकॉइन माइनिंग का 65% से 80% तक काम चीन में होने लगा था। लेकिन अब चीन की सख्ती के बाद वहाँ क्रिप्टो-माइनिंग करने वाले अमेरिका जैसे दूसरे देशों की ओर जाने लगे हैं।
मई में जिस समय चीन में क्रिप्टो-माइनिंग पर सख्ती शुरू की गयी, लगभग उसी समय टेस्ला के संस्थापक एलॉन मस्क की टिप्पणियों से भी क्रिप्टोकरेंसी के भावों को काफी चोट लगी थी। मस्क ने कहा था कि उनकी कंपनी बिटकॉइन में भुगतान स्वीकार नहीं करेगी। हालाँकि उसके बाद भी मस्क ने क्रिप्टोकरेंसी पर लगातार काफी टिप्पणियाँ की हैं, जिनके चलते इनके भाव कभी गिर जाते हैं तो कभी उछल जाते हैं। एक छोटी क्रिप्टोकरेंसी डॉगेकॉइन में मस्क की दिलचस्पी विशेष रूप से दिखी है। डॉगेकॉइन को मीम करेंसी यानी मजाक में बनायी गयी क्रिप्टोकरेंसी कहा जाता है।
चीन ने केवल बिजली खर्च होने की चिंता से ही क्रिप्टोकरेंसी पर सख्ती नहीं की है। उसकी चिंता यह भी है कि क्रिप्टोकरेंसी कहीं उसकी वित्तीय व्यवस्था पर बुरा असर न डाले। इसीलिए चीन सरकार ने इस साल 18 मई को जारी अपने एक आदेश में अपने देश के वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी व्यापार में शामिल होने या इसके लेन-देन के लिए किसी तरह की सुविधा देने पर रोक लगा दी।
चीन ने 2017 में ही क्रिप्टो एक्सचेंजों पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहाँ कुछ क्रिप्टोकरेंसी के जो इनिशियल कॉइन ऑफरिंग (आईसीओ) आये थे, उन पर प्रतिबंध लगाया गया। जिस तरह कोई कंपनी आम जनता के बीच अपने शेयरों को बेचने के लिए इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) लाती है, उसी तरह क्रिप्टोकरेंसी बेचने के लिए आईसीओ लाये जाने लगे हैं। अब चीन अपने यहाँ क्रिप्टो-माइनिंग पर अंकुश लगाने में जुटा है। साथ ही माना जा रहा है कि चीन स्वयं अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने की तैयारी में है और इस कारण दूसरी क्रिप्टोकरेंसी पर अंकुश लगा कर अपनी क्रिप्टोकरेंसी के लिए प्रतिस्पर्धा खत्म करना चाहता है।
अमेरिका में भी क्रिप्टोकरेंसी पर सख्ती किये जाने की अटकलें चलने लगी हैं। अमेरिका के सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के अध्यक्ष गैरी जेंसलर ने हाल में इस तरह के संकेत दिये थे कि वे क्रिप्टोकरेंसी पर अंकुश के लिए नियमन लाने पर विचार कर रहे हैं। गैरी तो बिटकॉइन वगैरह के लिए क्रिप्टोकरेंसी शब्द का उपयोग भी ठीक नहीं समझते, वे इसे क्रिप्टो टोकन कहने पर जोर देते हैं। इस बात से ही स्पष्ट है कि जब भी एसईसी का नियमन आयेगा तो वह बिटकॉइन वगैरह के बाजार में एक नया तूफान ही लायेगा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल और अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन भी चेतावनी दे चुके हैं कि क्रिप्टोकरेंसी से वित्तीय स्थिरता को खतरा पैदा हो सकता है।
वहीं ब्रिटेन के वित्तीय नियामक फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (एफसीए) ने इस साल 25 जून को जारी एक नोटिस में क्रिप्टो-एक्सचेंज बाइनेंस पर प्रतिबंध लगा दिया। बाइनेंस दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक है। एफसीए के आदेश के बाद अब यह एक्सचेंज ब्रिटेन में किसी भी विनियमित गतिविधि का संचालन नहीं कर सकता है। एफसीए ने उपभोक्ताओं को इस क्रिप्टो एक्सचेंज के बारे में चेतावनी भी जारी की।
इस बीच भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर अंकुश के लिए नया विधेयक जल्दी ही लाये जाने की संभावनाएँ हैं। हाल में एक अंग्रेजी समाचार पत्र से बातचीत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि ‘हमने भागीदारों के विचार जाने हैं। कैबिनेट नोट तैयार है। हमें देखना होगा कि मंत्रिमंडल कब इस विचार करता है, जिससे हम इसे आगे बढ़ा सकें।’ अंततः इस पर मंत्रिमंडल में ही निर्णय होगा, मगर वित्त मंत्री ने जो संकेत दिये हैं, उनका आशय यही है कि केवल फिनटेक, प्रयोगों और पायलट परियोजनाओं के लिए एक खिड़की खुली छोड़ी जायेगी, यानी बाकी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
(देश मंथन, 14 जुलाई 2021)