फिर जनता ने आपको क्यों कुर्सी पर बिठाया?

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योगेश सिंह, उद्यमी :

रेल किराये में बढ़ोतरी के नाम पर क्या सुविधाएँ मिलेंगी, यह तो भविष्य के गर्भ में है। परँतु आम जनता को तुरँत इस रिकॉर्ड बढ़ोतरी का क्या लाभ मिलेगा, जरा उसे भी समझ लेते हैं।

मुंबई की जीवन रेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेनों के मासिक पास में 100% से भी अधिक की बढ़ोतरी कर दी गयी है। यह अब तक का एक रिकॉर्ड है। अंग्रेजों के जमाने में भी इतनी बड़ी बढ़ोतरी नहीं हुई थी। मोदी सरकार ने किराया बढ़ोतरी में पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं। रेलमंत्री कहते हैं कि हमने किराया नहीं बढाया है, बल्कि हम तो पिछली सरकार के आदेशों को लागू कर रहे हैं। उन्हें कौन समझाये कि पिछली सरकार के आदेशों को ही अगर लागू करना था, तो जनता ने आपको क्यों कुर्सी पर बिठाया?

मुंबई में सीएसटी से पनवेल का मौजूदा किराया सेकंड क्लास के लिए 335 रुपये और फर्स्ट क्लास के लिए 1035 रुपये है। इन्हें बढ़ा कर क्रमशः 720 रुपये और 1960 रूपये कर दिया गया है, यानी 100% से भी अधिक की बढ़ोतरी। अब इसका परिणाम यह होगा कि पहले से खचाखच भरे सेकेंड क्लास की बॉगियों में और दबाव बढ़ेगा। बहुत-सी छोटी मोटी कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को अब फर्स्ट क्लास की जगह सेकेंड क्लास का पास देने लगेंगी। बहुत-से लोग दिल पर पत्थर रख कर फर्स्ट क्लास का पास लेते रहे हैं। पर अब उनका हौसला टूट गया है। भले उन्हें भीड़ की वजह से दो-चार ट्रेनें छोड़नी पड़ें, बॉस की गाली सुननी पड़े, पर उन्हें सेकेंड क्लास में ही यात्रा करनी पड़ेगी।

पिछली सरकारों ने रेल सुधार के नाम पर प्लेटफॉर्म पहले ही लंबे कर दिये हैं और 12 की जगह पर 15 डिब्बों की गाड़ियाँ दौड़ रही हैं। हर दो से तीन मिनट पर ट्रेनें दौड़ रही हैं। अब क्या सुधार के नाम पर मोदी सरकार डबल डेकर लोकल शुरू करने वाली है?

बुलेट ट्रेन और सबको मकान का बुलबुला आज नहीं तो कल फूटने ही वाला है। पर अभी तक सरकार जो कर रही है, वह नौसिखियों की निशानी है। सुधर जाइये, वरना जिस जनता ने हीरो बनाया है, वही आपको जीरो बना देगी।

(देश मंथन, 21 जून 2014)

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