उपचुनावी नतीजों के अर्थ-अनर्थ और फलितार्थ
पीयूष पांडेय, व्यंग्यकार :
उपचुनावों में भाजपा को मिली हार और कांग्रेस-समाजवादी पार्टी को मिली जीत की विवेचना।
संघ सिस्टम बनाम नो सिस्टम
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
आखिर कौन नहीं चाहता था कि कांग्रेस हारे। सीएजी रिपोर्ट और लोकपाल आंदोलन के वक्त दो साल तक कांग्रेस ने जिस अहंकार का प्रदर्शन किया क्या उसकी सजा मिलने पर जश्न नहीं होना चाहिए।
चुनावी नतीजों पर याद आती कुछ पुरानी बातें
राजीव रंजन झा :
लोक सभा चुनाव में भाजपा को अकेले अपने दम पर बहुमत पाने के बाद मुझे बीते साल दो तीन साल में लिखी अपनी बहुत-सी पुरानी बातें याद आ रही हैं। क्या भूलूँ क्या याद करूँ? ...क्या-क्या गिनाऊँ?
चुनाव के बाद सोशल मीडिया पर हास परिहास का दौर
लोक सभा चुनाव के बाद सोशल मीडिया पर हास परिहास भी चरम पर है। एक से बढ़ कर एक मजाकिया टिप्पणियाँ फैल रही हैं। इनमें से किस टिप्पणी या चुटकुले को सबसे पहले किसने लिखा, यह खोज पाना तो संभव नहीं लगता।
चुनावी नतीजों पर लोगों की चकल्लस
लोक सभा चुनाव के नतीजे आने पर इंटरनेट और सोशल मीडिया पर जम कर लोगों ने चुटकियाँ भी लीं।
पहली बार बहुसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण
राणा यशवंत, प्रबंध संपादक, इंडिया न्यूज :
आजाद भारत के इतिहास में यह चुनाव कई बेहद महत्वपूर्ण बातों के लिए याद किया जायेगा। यह पहली बार है जब कांग्रेस से अलग किसी पार्टी को अकेले बहुमत मिला है। यह पहली बार है कि कांग्रेस विपक्षी दल की हैसियत भी हासिल नहीं कर पायी। सदन की कुल संख्या के दस फीसदी के बराबर भी उसके सदस्य जीत कर संसद नहीं पहुँच सके।
सोलह मई
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
नतीजा आ गया। वैसा ही आया जैसा आने की बात बीजेपी कह रही थी। इस नतीजे का विश्लेषण नाना प्रकार से होगा, लेकिन जनता ने तो एक ही प्रकार से फ़ैसला सुना दिया है। उसने गुजरात का मॉडल भले न देखा हो मगर उस मॉडल के बहाने इतना तो पता है कि चौबीस घंटे बिजली मिलने में किसे एतराज है।
मोदी सरकार पर माथापच्ची
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
गांधीनगर से कल आयीं तस्वीरें संभावित मोदी सरकार की रूपरेखा को बयान कर रही हैं। राजनाथ सिंह और अरुण जेटली सोफे की सिंगल सीट पर बैठे हैं।
मतदान के अंदाजी घोड़े
डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
मतदान के अंदाजी घोड़े अभी से दौड़ने शुरू हो गये हैँ। नरेंद्र मोदी को अपना दुश्मन मानने वाले टीवी चैनल भी यह कहने को मजबूर हो गये हैं कि भाजपा को कम से कम 250 सीटें तो मिलेंगी ही।
मोदी विरोध का विकल्प मोदी
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
सोलह मई को मतगणना होने वाली है। अभी से सरकार को लेकर क़यास लगा रहे होंगे। यह एक सामान्य और स्वाभाविक लोकतांत्रिक उत्सुकता है।
हम सब एक हैं बस टीवी में नहीं हैं
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
मीडिया में जो चुनाव दिखता है वो चुनाव की हक़ीकत के बहुत करीब नहीं होता। हम तक जो पहुँचता है या परोसा जाता है वो मीडिया के पीछे होने वाली गतिविधियों का दशांश भी नहीं होता। जो सवाल होते हैं वो हवाई होते हैं और जो जवाब होते हैं वो करिश्माई।
मुलायम की बिसात पर क्या राहुल क्या मोदी
पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
नेताजी से ज्यादा यूपी की राजनीति कोई नहीं समझता। और सियासत की जो बिसात खुद को पूर्वांचल में खड़ा कर नेताजी ने बनायी है, उसे गुजरात से आये अमित शाह क्या समझे और पुराने खिलाड़ी राजनाथ क्या जाने।