Sunday, December 22, 2024
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आजादी के बाद मुसलमानों की अग्नि-परीक्षा !

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :

1952 में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद को जब नेहरु ने रामपुर से चुनाव लड़ने को कहा तो अब्दुल कलाम ने नेहरु से यही सवाल किया था कि उन्हें मुस्लिम बहुल रामपुर से चुनाव नहीं लड़ना चाहिये।

तीन देवियों से मोदी की टक्कर

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :

वो अगर तूफान के पहले की खामोशी थी तो तूफान आने के बाद एहसास हुआ कि उस खामोशी के पीछे क्या राज था। बात तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता की हो रही है जिन्होंने आखिरकार नरेंद्र मोदी और गुजरात के विकास मॉडल पर अपनी चुप्पी तोड़ ही दी।

बनारस का विरोध रस

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :

बनारस इस चुनाव का मनोरंजन केंद्र बन गया है। बनारस से ऐसा क्या नतीजा आने वाला है जिसे लेकर कृत्रिम उत्सुकता पैदा की जा रही है।

जोर से बोलो तो जमाना सुनेगा

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :

नफासत का ओढ़ा हुआ पुलिंदा लग रहा था। शख्स की ज़ुबान से नाम ऐसे छलक रहे थे जैसे महल की सीढ़ियों से शख्सियतें उतर रही हों।

स्पैम मेल में कांग्रेस का सवाल : क्या हमने देश डुबा दिया?

देश मंथन डेस्क :

कांग्रेस की डिजिटल टीम ने चुनाव प्रचार के लिए अब ईमेल का सहारा लिया है, हालाँकि बड़ी संख्या में लोगों को यह ईमेल उनके स्पैम फोल्डर में दिख रहा है।

मोदी का मिशन बनाम संघ का टारगेट

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :

मोदी को पीएम की कुर्सी चाहे 272 में मिलती हो लेकिन संघ का टारगेट 395 सीटों का है। संघ के इस टारगेट का ही असर है कि अगले एक महीने में मोदी के पांव जमीन पर तभी पडेंगे, जब उन्हें रैली को संबोधित करना होगा।

मोदी और केजरीवाल के 27 भेद

अभिरंजन कुमार :

बनारस में भारत माता के दो सच्चे सपूतों नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के बीच होने वाले मुकाबले में 12 मई को जनता को फैसला सुनाना है।

सर्किट हाऊस के कमरा नं 1 ए से 7 रेसकोर्स की दौड़ तक

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :

2002 का "अछूत" 2014 में "पारस" कैसे बन गया?

नरेंद्र मोदी ने 6 अक्टूबर 2001 में जब सीएम की कुर्सी संभाली उस वक्त मोदी ने सोचा भी नही था कि जिस सीएम की कुर्सी पर बने रहने के लिये उन्हें विधानसभा की सीट देने के लिये कोई तैयार नहीं है, वही सीएम की कुर्सी 12 बरस बाद उन्हें पीएम की कुर्सी का दावेदार बना देगी।

अब मोदी के खिलाफ बुद्धिजीवियों का प्रलाप

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

देश के तमाम जाने- माने बुद्धिजीवियों ने एक दिल्ली में 7 अप्रैल को प्रेस क्लब आफ इंडिया की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में न सिर्फ भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को जी-भर कर कोसा वरन एक साझा बयान पर हस्ताक्षर भी किए (जनसत्ता, 8 अप्रैल,2014)।

2014 के चुनावी लोकतंत्र में फर्जी वोटर का तंत्र

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :

2014 के आम चुनाव में उतने ही नये युवा वोटर जुड़ गये हैं, जितने वोटरों ने देश के पहले आम चुनाव में वोट डाला था।

राहुल-सोनिया को बीजेपी की चुनौती

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :

तो आखिरकार बीजेपी ने अमेठी और रायबरेली से अपने उम्मीदवारों के नामों का ऎलान कर ही दिया।

मोदी को गाली देकर सीट निकल सकती है

दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार :

कांग्रेस, सपा, बसपा, जेडीयू, आप... सभी मुस्लिम वोट बैंक की लड़ाई लड़ रहे हैं। इत्तेफाक है कि सभी लड़ने वालों के पास इस वोट बैंक पर कब्जा करने का फार्मूला एक ही है।

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