फिर धीरे-धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा…

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मोहनीश कुमार, इंडिया टीवी :

मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,

यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है ।

दुष्यत कुमार के शब्दों के साथ गाँधी जी की एक कहानी याद आ रही है… बीएचयू के दिनों में… गंगा के किसी घाट पर… कभी साथी विप्लव राही ने सुनाई थी…

सच्चाई का कोई दावा नहीं कर रहा… बस कहानी मजेदार और मौजूं है… तो नाम पर कृपया तर्क ना करें… ।

किसी ने गांधी जी से पूछा आप सत्य को लेकर काफी आग्रही हैं… मंजिल से ज्यादा मंजिल तक पहुँचने के रास्ते पर जोर देते हैं… ऐसा क्यों…??? गांधी जी ने कहा, मंजिल तो पवित्र होनी ही चाहिये… रास्ता भी हमेशा पवित्र और सीधा होना चाहिये… अगर एक बार समझौता करके आड़े-तिरछे रास्ते से आगे बढ़े तो लाख कोशिश के बावजूद सीधे रास्ते पर नहीं आ पाओगे… सीधे रास्ते पर आने के लिए दोबारा तिरछा होना पड़ेगा… और जरूरी नहीं कि दोबारा तिरछा होकर भी सीधे रास्ते पर ही आओ… तो फिर तीबारा तिरछा होना पड़ेगा… इतनी बार तिरछे होने के बाद मंजिल कब बदल जाएगी पता ही नहीं चलेगा… तो बेहतर है बार-बार तिरछे होने की बजाये सीधे रास्ते पर ही चलो… देर से ही सही मंजिल तक पहुँचना पक्का है…।

फिर धीरे-धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है,

वातावरण सो रहा था अब आँख मलने लगा है…

आप सोच रहे होंगे इस कहानी की आज क्या जरूरत है… दरअसल यह कहानी याद आयी आम आदमी पार्टी की हालत को देख कर… दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद भी जीत की खुशी मनाने की बजाय आज पार्टी में जूतम-पैजार जारी है… कोई अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगा रहा है तो कोई प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को हटाने की माँग कर रहा हैं… दोनों गुट खुद को सच्चा आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता साबित करने में जुटे हैं… दोनों गुट सच्चाई का दावा कर रहे हैं… दोनों गुट अपनी मंज़िल सत्य को बता रहे हैं… फिर सवाल यह है कि ये हंगामा क्यों बरपा है…??? कहीं ना कहीं तो किसी ना किसी ने तो मंजिल तक जल्दी पहुँचने की कोशिश में शॉर्टकट अपनाने की कोशिश की है…!!!

नजर-नवाज नजारा बदल न जाये कहीं

जरा-सी बात है मुँह से निकल न जाये कहीं

अब आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक राजेश गर्ग एक ऑडियो टेप लेकर सामने आ गये हैं… राजेश गर्ग का दावा है कि इस में अरविंद केजरीवाल की आवाज है… इस टेप में पिछली विधानसभा भंग होने से पहले केजरीवाल ने कांग्रेस के छह विधायकों को तोड़ कर अलग पार्टी बनवा कर समर्थन लेने की बात की है… राजेश गर्ग का दावा है कि आम आदमी पार्टी का स्वराज खोखला है… यहाँ जनलोकपाल जैसी कोई चीज नहीं है… पार्टी में भ्रष्टाचारियों को सम्मान दिया जाता है… साथ ही राजेश गर्ग का कहना है कि आम आदमी पार्टी में गुंडा तत्वों को शामिल किया गया है… इसलिए उनकी जान को खतरा भी है…

तेरा निजाम है सिल दे जुबान शायर की

यह एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए

अब सवाल उठता है ऑडियो टेप के सामने आने के समय पर… राजेश गर्ग ने यह ऑडियो अब तक क्यों छिपा रखा था… राजेश को चुनाव में टिकट नहीं मिला तो उसी वक्त इसे रिलीज कर देते… अब तक इस टेप का राजेश क्या कर रहे थे… मंगलवार को प्रशांत भूषण ने दावा किया कि जल्द ही देश के सामने सच्चाई आ जायेगी… और उसी दिन राजेश गर्ग टेप लेकर हाजिर हो गये… तो क्या प्रशांत भूषण के दावों और राजेश गर्ग के टेप के बीच भी कोई संबंध है…

कैसे मंजर सामने आने लगे हैं

गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं

जाँच होनी चाहिए… टेप किस हद तक सही है… राजेश गर्ग के दावों में कितनी सच्चाई है… क्या वाकई आम आदमी पार्टी भी बाकी पार्टियों की तरह खरीद-फरोख्त और तोड़-फोड़ की राजनीति में यकीन करने लगी है… कई सवाल हैं… लेकिन इतना तो तय है किसी न किसी ने तो मंजिल पाने के लिए सीधा रास्ता छोड़ कर शॉर्टकट का सहारा लिया है…

यह सोच कर कि दरख्तों में छाँव होती है

यहाँ बबूल के साये में आके बैठ गये ।

(देश मंथन, 11 मार्च 2015)

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