बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले नीतीश कुमार ने कल जीतन राम माँझी को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया।
दलित वर्ग के 68 वर्षीय माँझी नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री थे। यह दिलचस्प है कि नीतीश कुमार ने यह घोषणा करते समय कांग्रेस के विधायकों को अपनी सूची में नहीं जोड़ा। उन्होंने बताया कि राज्यपाल डी. वाई. पाटिल को 117 जदयू विधायकों, 2 निर्दलीय विधायकों और एक सीपीआई विधायक के समर्थन की चिट्ठी सौंपी गयी है। बिहार विधान सभा में कुल 239 विधायक हैं। यह खबर सामने आने के बाद इंटरनेट पर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों की अलग-अलग तरह की टिप्पणियाँ आ रही हैं। कुछ लोग इसे नीतीश की धुरंधर चाल के तौर पर देख रहे हैं, तो कुछ लोग इस फैसले का मजाक उड़ाते दिख रहे हैं। पेश हैं कुछ ऐसी ही टिप्पणियाँ :
नदीम एस. अख्तर : एक मनमोहन सिंह दिल्ली से विदा हुए और उधर बिहार को नया “मनमोहन सिंह” मिल गया। वाकई अच्छे दिन आ गए हैं। बधाई बिहार वालों!
अविनाश दास : यह नीतीश कुमार का खूबसूरत फैसला है। कई बार दलित-वंचितों के हक में प्रतीकात्मक लड़ाई लड़ने की भी जरूरत होती है। क्रांतिकारी राजनीतिक दलों को इतिहास के कुछ पन्ने पलट कर ऐसे ही कुछ फैसलों और बाद की राजनीति पर उसके असर को देखना चाहिए। सीखना चाहिए। कर्पूरी ठाकुर और जगजीवन राम के बाद जीतनराम माँझी की ओर हमें नयी उम्मीदों से देखना चाहिए। सत्ता में दलित या महादलित की यह स्वाभाविक हिस्सेदारी नहीं है। इसलिए मैंने प्रतीक शब्द का इस्तेमाल किया है। पर ऐसा भी होते रहना बहुत जरूरी है.
आकाश वत्स : जीतन राम मांझी की एक उपलब्धी ये भी है कि इस बार लोकसभा चुनाव में वो जमानत बचा लिए वैसे इस बार, सांसद रहे 15 जेडीयू उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है।
धर्मेंद्र सिंह : जैसे सोनिया ने मनमोहन को चुना था वैसे ही नीतीश ने जीतन राम को चुना है। नीतीश भी रिमोट कंट्रोल से चलाएंगे। नीतीश ऐसे आदमी को कमान नहीं सौंपना चाहते थे जो बेकाबू हो जाए। नीतीश कुछ भी कर ले अब कुछ नहीं होगा। हां हो सकता है अगर फिर बीजेपी सा या लालू से हाथ मिला ले लेकिन बीजेपी अब तो हाथ नहीं मिलाएगी।
समरेंद्र सिंह : अब नीतीश देश की राजनीति में हिस्सा लेंगे। ऐसा मेरा अनुमान है। देश की राजनीति में विपक्ष की भूमिका के लिए फिलहाल कोई ठोस नेता नहीं है। पार्टी पर कब्जा करेंगे, शरद यादव को और किनारे करेंगे और देश की राजनीति में सक्रिय होंगे।
नितिन ठाकुर : नीतीश कुमार सदमे में ऐसा कर रहे हैं या शर्म से..कुछ कहा नहीं जा सकता। नीतीश के बचे दिन जीतनराम मांझी पूरे करेंगे। अभी ही मांझी ने गया से लोकसभा चुनाव हारा है। फिलहाल बिहार के कल्याण मंत्री थे, अब नीतीश का कल्याण करेंगे।
हरिशंकर राय : सुशासन बाबू की नैतिकता का जवाब नहीं लालू का विरोध करते है परन्तु तरीके वही वो सत्ता रावड़ी को सौपे तो इन्होंने माझी को चुना जो खड़ाऊ रखकर राज्य चलायेंगे। मजेदार बात लोकसभा के चुनाव परिणाम की यह नैतिकता सुशासन बाबू को मुबारक जिसमे हारे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना दिया।
एल्फ्रेड नोबल : दलित उत्थान, जात पात को ख़त्म करने की दिशा में उठाया गया नीतीश कुमार का साहसिक कदम। क्यों केवल सवर्ण मित्र ही श्री माँझी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बनाये जाने का विरोध कर रहे हैं? मेरे बहुत से ओबीसी और दलित मित्र हैं और उनमें से किसी ने इसे विकास-विरोधी नहीं कहा है। यह विभाजन क्यों है!
विद्या कुमार चौधरी : बिहार को इसके नये मुख्य मंत्री मिले। श्री जीतन राम माँझी। कृपया यह न पूछें कि वे कौन हैं! मैंने बस अभी गूगल किया है और खोज के परिणामों का इंतजार कर रहा हूँ…
अरुण साथी : अपने इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार ने जीतन राम माँझी के रूप में एक महादलित को मुख्यमंत्री बना कर मास्टर स्ट्रोक चल दिया। विपरीत समय में भी बिना विचलित हुए राजनीतिक कदम उठा कर उन्होंने साहस का परिचय दिया है।
अमन सिन्हा अभि : गिरते वोट बैंक को संभालने की कोशिश है ये शायद।
पीयूष मिश्रा : नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा दिया और एक ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद के लिए नामित कर दिया जो उसी लोकसभा चुनाव में लड़ा और ‘तीसरे स्थान’ पर रहा। वाह रे नैतिकता और दलित संघर्ष!
प्रशांत प्रत्यूष : नीतिश किसी को भी चुनते, बहस तेज तो होती ही। यादव चुनते तो यादव वोट, मुस्लिम चुनते तो मुस्लिम वोट। साहस तो किया इस तरह का फैसला लेने का। आगे देखा जाये कि बाकी योजना क्या है?
अकबर रिज़वी : कभी-कभी हार भी पुरस्कार में बदल जाया करती है। जीतन राम माँझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी मुबारक। बिहार को पहला महादलित सीएम मुबारक। नीतीश अब लौटे हैं असली पॉलिटिक्स में। पहिले न जाने का… बिकास-बिकास बकत रहें… जनता बूझतै नाय रही।
सैयद फैज़ुर रहमान : बिहार के नए सीएम जीतन राम ‘मांझी’ को एक ऐसी नाव सौंपी गई है जिसमें छेद भी हो चुका है और जिसकी पतवार भी उनके हाथ में नहीं होगी !
(देश मंथन, 20 मई 2014)