मंत्रिमंडल विस्तार के लिए यूपी का दाँव

0
80

संदीप त्रिपाठी :

मोदी कैबिनेट के मंगलवार की सुबह 11 बजे होने वाले विस्तार के लिए सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश चेहरों की है। आइये, देखते हैं विभिन्न वेबसाइटों में क्या-क्या चर्चा चल रही है

जिनकी हो सकती है छुट्टी

विभिन्न वेबसाइटों में उत्तर प्रदेश के जिन चेहरों की मोदी मंत्रिमंडल से छुट्टी के कयास लगाये जा रहे हैं, उनमें दो नाम हैं – एक कलराज मिश्र और दूसरे रमाशंकर कठोरिया। 

कलराज मिश्र ब्राह्मण हैं। प्रदेश में संगठन का नेतृत्व ओबीसी के हाथ में है। कलराज यूपी में भाजपा के सबसे बड़े ब्राह्मण चेहरा हैं। उनकी संगठन पर भी अच्छी पकड़ है। ऐसे में कलराज की छुट्टी थोड़ी मुश्किल लगती है।

रमाशंकर कठेरिया का नाम प्रदेश नेतृत्व के लिए भी आ रहा था। प्रदेश भाजपा की सभी चुनावी बैठकों में कठेरिया की पूछ रही है। कठेरिया को दलित वर्ग में पार्टी की पकड़ बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा रहा है। चुनाव के ऐन पहले कठेरिया को हटाने से दलितों में अच्छे संकेत नहीं जायेंगे।

इनकी प्रोन्नति संभव

मोदी मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश से जुड़े तीन राज्यमंत्रियों महेश शर्मा, मनोज सिन्हा और संजीव बालियान को प्रोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाये जाने के कयास हैं। गौतमबुद्ध नगर से सांसद महेश शर्मा ब्राह्मण हैं और संघ परिवार के काफी करीबी हैं। सूबे के मुख्यमंत्री के तौर पर भी उनका नाम उछल चुका है। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को साधने की कवायद हो सकती है। गाजीपुर से सांसद मनोज सिन्हा भूमिहार हैं और मोटे तौर पर भाजपा में उत्तर प्रदेश से एकमात्र भूमिहार सांसद है। इनकी प्रोन्नति से पूर्वांचल के भूमिहार समुदाय को साधने की स्थिति बन सकती है।

मुजफ्फरनगर से सांसद जीव बालियान तेज-तर्रार जाट नेता हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटों पर मजबूत पकड़ में इनका अच्छा उपयोग हो सकता है।

कौन हो सकते हैं नये चेहरे

मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में उत्तर प्रदेश से कई नये चेहरों को शामिल करने की चर्चा और कयास अलग-अलग वेबसाइटों पर हैं। एक नाम है सहयोगी पार्टी अपना दल की मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल का। इनका नाम आने का अर्थ है कि पार्टी की नजर आगामी चुनाव में ओबीसी वोटरों पर मजबूत पकड़ बनाने पर हैं। एक नाम है चंदौली के सांसद महेंद्र नाथ पाँडे का। श्री पांडे संगठन के मजबूत नेता हैं। संभव है कलराज मिश्र की कीमत पर इन्हें लिया जाये। लेकिन आमजन में श्री पांडे का आधार कलराज मिश्र जैसा नहीं है। 

पूर्वांचल से दो नाम और आ रहे हैं – ये हैं गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ और बस्ती के शरद त्रिपाठी के। योगी के नाम पर चर्चा का अर्थ है कि मुख्यमंत्री पद पर उनकी दावेदारी कमजोर पड़ रही है और पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार किसी ओबीसी नेता को ही बनाया जायेगा। शरद त्रिपाठी दूसरी पीढ़ी के नेता है, उन्हें भविष्य के लिए विकसित किया जा सकता है।इलाहाबाद के सांसद श्यामाचरण गुप्त के नाम की भी काफी तेज चर्चा है। माना जा रहा है कि वैश्य मतदाताओं को लुभाने के लिए उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। 

बुंदेलखंड से जालौन से सांसद भानुप्रताप वर्मा का नाम आ रहा है। यह कहा जा रहा है कि इससे बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा और पार्टी बेहतर स्थिति में रह सकती है।

पश्चिमी उत्तर तीन नये चेहरे चर्चा में हैं। बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह का नाम लिया जा रहा है। उन्हें अजित सिंह की काट के तौर पर देखा जा रहा है। एक नाम कल्याण सिंह के पुत्र और एटा के सांसद राजवीर सिंह का है। माना जा रहा है कि इससे कल्याण सिंह भी संतुष्ट होंगे और लोध वोट भी पार्टी के खेमे में एकजुट रहेंगे। तीसरा नाम सहारनपुर के सांसद राघव लखनपाल शर्मा का है। दून स्कूल से पढ़े और प्रबंधन की डिग्री वाले राघव युवा है और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करना भविष्य के लिए निवेश जैसा होगा।

एक नाम पुरुषोत्तम रुपाला का भी है जो उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। हालाँकि इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने की चर्चा के पीछे उत्तर प्रदेश चुनाव की कोई गणित समझ में नहीं आती।

(देश मंथन 04 जुलाई 2016)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें