राजीव रंजन झा :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुटकी ली कि बाथरूम में रेनकोट पहन कर नहाने की कला डॉक्टर साहब ही जानते हैं। पर असल में डॉ. मनमोहन सिंह की कला इससे भी बड़ी है।
याद कीजिए, जब तक नरसिंह प्रधानमंत्री थे, तब तक सोनिया गांधी से मिलने कोई कांग्रेसी नहीं जाता था। वक्त का पहिया घूमा तो नरसिंह राव के निधन पर उनके शव को कांग्रेस मुख्यालय के अंदर भी नहीं लाया गया। कांग्रेसी सरकारों की उपलब्धियों को गिनाने में आज कांग्रेस भूल ही जाती है कि नरसिंह राव के नेतृत्व में भी उसने कोई सरकार बनायी थी।
उदारीकरण के प्रणेता नरसिंह राव थे। उस उदारीकरण को लागू करने के लिए उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह को बतौर वित्त मंत्री चुना था। अगर राव ने मनमोहन सिंह के बदले किसी और को वित्त मंत्री बनाया होता तो संभव है कि आज भी हम उन्हें पूर्व आरबीआई गवर्नर के रूप में ही जानते।
वही मनमोहन सिंह, जो नरसिंह राव के इतने विश्वासपात्र थे, वे राव के प्रधानमंत्री पद से हटने और कांग्रेस की राजनीति में नेपथ्य में चले जाने के बाद कब और कितनी आसानी से बिल्कुल दूसरे ध्रुव पर खड़ी सोनिया गांधी के भी विश्वासपात्र बन गये, यह कौन जान पाया! उनकी इस कलाकारी के आगे तो हर कलाकारी शीश नवायेगी!
(देश मंथन, 25 जनवरी 2017)