कलिखो पुल : आत्महत्या या साजिश

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संदीप त्रिपाठी :

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री 47 वर्षीय कलिखो पुल मुख्यमंत्री आवास स्थित अपने कमरे में फंदे से लटके पाये गये। कलिखो पुल वही हैं जिन्होंने नवंबर-दिसंबर, 2015 में अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ बगावत की थी और कांग्रेस विधायक दल के लगभग आधे विधायक कलिखो पुल के साथ आ गये थे।

फरवरी, 2016 में कलिखो पुल अरुणाचल के 8वें मुख्यमंत्री बने। लेकिन जुलाई, 2016 में इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा। और महज एक महीने के भीतर आज यह खबर आ गयी कि कलिखो पुल ने आत्महत्या कर ली।

कलिखो की छवि एक युवा, कर्मठ, ईमानदार और संघर्षशील नेता की रही है। उनका जीवन बहुत जूझते हुए बीता लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। जन्म के 13 माह बाद ही उनकी माता का निधन हो गया और पाँच साल बाद पिता भी चल बसे। कलिखो अपनी चाची के यहाँ पले। जंगल से लकड़ियाँ तोड़ कर लाने की एवज में उन्हें एक वक्त का खाना मिलता था। 10 वर्ष की उम्र में उन्होंने बढ़ईगिरी सीखी और महज डेढ़ रुपये रोजाना की दिहाड़ी पर उन्होंने बढ़ई का काम शुरू किया। फिर 212 रुपये महीने के वेतन पर चौकीदारी की। बाद में पान की दुकान की, छोटी-मोटी ठेकेदारी की और फिर उद्यम करने लगे। बाद में पढ़ाई कर अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि ली, कुछ समय तक कानून की पढ़ाई भी की। 23 वर्ष के राजनीतिक जीवन में कलिखो 22 साल मंत्री रहे। उनका आवास उन ग्रामीणों से भरा रहता था जिन्हें किसी तरह की कोई मदद चाहिए होती थी।

जुझारू और कभी न हारने वाले कलिखो की मृत्यु अगर आत्महत्या से होती है तो शंका पैदा होना लाजिमी है। गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक कलिखो पुल ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है। यह बात साजिश के कोण की ओर इशारा करती है।

अभी कलिखो पुल के समर्थन उनके गृह नगर में सड़कों पर उतर आये हैं और तोड़-फोड़ कर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं। राजधानी ईटानगर में कलिखो पुल के समर्थकों ने मुख्यमंत्री पेमा खांडू के आवास को घेर लिया है। कलिखो की मृत्यु की खबर फैलने के बाद पूरे अरुणाचल में जगह-जगह स्थिति बिगड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश और अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न नेताओं ने दुख और संवेदना जतायी है। भाजपा सांसद तरुण विजय ने कहा है कि कलिखो की मृत्यु सियासी हलके के लिए एक सबक है कि राजनीतिक कितनी निर्मम होती है।

(देश मंथन 09 अगस्त 2016)

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