मोदी या फिर कोई नहीं

0
77

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :

लोक सभा चुनाव के लिए पहला वोट डलने में अभी ग्यारह दिन बाकी हैं और नतीजे 16 मई को आयेंगे।

मगर बीजेपी और सहयोगी पार्टियों में आवाज़ें उठनी शुरू हो गयी हैं कि अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं, तो उप प्रधानमंत्री कौन बनेगा। जबकि विपक्ष पार्टियां चुटकी ले रही हैं कि पार्टी के भीतर एक बड़ा धड़ा इस बात के लिए सक्रिय है कि पार्टी की किसी सूरत में 160-170 से ज़्यादा सीटें न आ पायें ताकि नरेंद्र मोदी की जगह लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज या राजनाथ सिंह जैसे किसी नेता को प्रधानमंत्री बनने का मौका मिल सके। बीजेपी के बारे में कहा जा रहा है कि उसमें दो धड़े हैं। एक 170 ग्रुप जो चाहता है पार्टी की सीटें 170 के ऊपर न जायें ताकि मोदी की जगह कोई और पीएम बन सके। दूसरा 270 ग्रुप। जो मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहता है।

जाहिर है ये सब काल्पनिक प्रश्न हैं। लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है। इसीलिए बीजेपी के भीतर भी मोदी विरोधी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। बीजेपी में ये आरोप भी लग रहे हैं कि कुछ नेता चाहते हैं कि पार्टी की सीटें अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में आईं 180 सीटों से ऊपर न जाये ताकि मोदी प्रधानमंत्री न बन सकें। इन आरोपों की पुष्टि के लिए ये दलीलें दी जा रही हैं कि कुछ नेताओं के दबाव में पार्टी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर गलत टिकट बांटे हैं ताकि वहाँ पार्टी की संभावनाओं को चोट पहुँचाई जा सके।

इसी तरह उप प्रधानमंत्री पद को लेकर भी दावे शुरू हो गये हैं। दिल्ली के नेताओं में नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले अरुण जेटली अमृतसर से चुनाव मैदान में हैं और उनकी पहली ही सभा में बीजेपी की सहयोगी पार्टी अकाली दल के मुखिया सरदार प्रकाश सिंह बादल ने कह दिया कि जेटली वित्त मंत्री बनने के साथ-साथ उप प्रधानमंत्री भी बनेंगे। हालाँकि जेटली ने बादल के इस बयान को चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए भाषणों जैसा ही बता कर ज्यादा तूल न देने की बात कही। इसी बीच, मध्य प्रदेश के विदिशा से चुनाव लड़ रहीं सुषमा स्वराज के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे और शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री सुरेंद्र पटवा ने यही बात कह दी।

इन तमाम बयानों से बीजेपी के विरोधियों को खिल्ली उड़ाने का मौका मिला है। तो वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भौंहें तन गयी हैं। बीजेपी में टिकटों को लेकर चल रही खींचतान पर संघ पहले ही नाराज़गी जता चुका है। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज और जसवंत सिंह को लेकर संघ ने अपना रुख भी साफ कर दिया था।

अब खबरों के मुताबिक आरएसएस ने साफ कर दिया है कि बीजेपी में या तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री होंगे या फिर कोई नहीं होगा। वैसे तो संघ को भरोसा है कि बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियाँ बहुमत के नजदीक पहुँचेंगे। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो बीजेपी सरकार बनाने के लिए मोदी की जगह किसी और को प्रधानमंत्री बनाने के लिए नये सहयोगियों की तलाश नहीं करेगी। संघ की और से ये भी कहा गया है कि अगर बीजेपी की सीटें उम्मीद के अनुसार नहीं आती हैं तो सरकार बनाना या फिर विपक्ष में बैठना ये भी मोदी खुद ही तय करेंगे।

जाहिर है संघ की ओर से ये संकेत उन तमाम नेताओं के लिए है जिनकी अपनी महत्वाकांक्षाएँ जोर मार रही हैं। संघ को बड़े पैमाने पर भीतरघात का डर भी सता रहा है और टिकट बंटवारे से ये बात साफ भी हो रही है। संघ इस बात से भी चिंतित है कि मोदी के पक्ष में बना माहौल कहीं इन आशंकाओं के चलते न बिगड़ जाये कि जरूरत पड़ने पर बीजेपी उनकी जगह किसी और नेता को भी प्रधानमंत्री बना सकती है। इसीलिए ये बात स्पष्ट कर दी गयी है। लेकिन इसके बावजूद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि मोदी को रोकने के लिए बीजेपी के भीतर ही चल रहीं कोशिशें रुक जायेंगी।

(देश मंथन, 28 मार्च 2014)

 

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें