हंगामा है क्यूँ बरपा, आखिर कहा क्या शरद यादव ने!

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गुरुवार शाम को राज्य सभा में बीमा विधेयक पर चर्चा के दौरान जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता शरद यादव अचानक लोगों के रंग-रूप की चर्चा करने लगे।

बीमा का मसला पीछे छूट गया और वे बोलने लगे बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंटरी इंडियाज डॉटर पर, जिसमें निर्भया / दामिनी बलात्कार के अभियुक्त का विवादित साक्षात्कार दिखाया गया है। शरद इस डॉक्यूमेंट्री की निर्मात्री लेस्ली उडविन की “गोरी चमड़ी” की बात करने लगे और उसके बाद कुछ यूँ रौ में बहे कि अन्य सदस्यों और पीठासीन अधिकारी के रोकने-टोकने पर भी उसी रौ में बोलते चले गये। उन्होंने जो कुछ कहा, वह यहाँ शब्दशः पेश है –

शरद यादव : यहाँ तो सफेद व्हाईट चमड़ी वालों को देख कर आदमी दंग रह जाता है। मैट्रिमोनियल देखो तो उसमें लिखा हुआ है गोरी लड़की चाहिए। अरे, आपका भगवान जो है, वो साँवला है। वो रविशंकर (प्रसाद) जैसा है। हैं! अरे, राम भी साँवला है, और आपका कृष्ण भी श्याम वर्ण का है! और आप जो है गोरा देख के कैसे बेहोश होते हो, ये अभी आयी थी फिल्म बनाने, तिहार जेल में, उसका नाम क्या है… ऐडविन्न। वो तो जहाँ घुसी होगी वहाँ दो मिनट में… अरे ऐसा बाग-बाग है… वैसे ही पूरा देश भी सरेंडर है… और हरेक आदमी यहाँ मेट्रोमोनियल देखो तो गोरी-गोरी ढूँढ़ रहा है। अरे भाई, तुम्हारा भगवान ही काला था, तो साँवला आदमी कोई बुरा होता है क्या? 

रविशंकर प्रसाद : एक साँवले संत ने गोरे लोगों को हराया था, उसका नाम महात्मा गांधी था। 

शरद यादव : आपने बात सही कही। और ये भी जान लीजिए, कि महात्मा गांधी…

पीठासीन अधिकारी : शरद जी, प्लीज…, आपकी पार्टी से एक और हैं…

शरद यादव : अरे छोड़ो, हम पार्टी वाले आदमी हैं क्या! हांय! हम पार्टी के आदमी नहीं हैं। हम तो तीस फीसदी लोग जो हैं इस हाउस और उस हाउस में, उनको अपने हाथ से टिकट दिये हुए हैं। तो हमको पार्टी में क्यों बांध रहे हैं, आपकी पार्टी को बड़ा मदद कर दिये थे हम। तो मैं कह रहा था कि एक बात कही है, रविशंकर ने कही इसलिए हमको याद आ गयी। तो डॉ. लोहिया ने लिखा है कि एक आदमी जमना के किनारे पैदा हुआ, खेला, और सारे… सारा अन्याय को समाप्त करके द्वारका में जा करके इंतकाल हुआ, वहाँ उनको जलाया गया, अंतिम संस्कार वहाँ हुआ। और द्वारका, जो भूगोल है, वो कैसे वापसी करता है कि द्वारका में महात्मा गांधी पैदा हुए, और जमना के किनारे जलाये गये। तो मानता हूँ मैं कि ये दोनों बड़े आदमी, दोनों साँवले थे। हम तो साँवले आदमी होना चाहिए, पूरे देश में साँवले आदमी ही ज्यादा हैं। और साउथ की महिला जितनी ज्यादा खूबसूरत होती है, उतना उसका बॉडी, वो पूरा देखने में (हाथ गोल-गोल हिलाते हुए)… यानी इतना हमारे यहाँ नहीं होती है, वो नृत्य जानती है, और देखो ये जो, क्या नाम है इनका…

पीठासीन अधिकारी : शरद जी, बिल.. बिल…

शरद यादव : नहीं, आप क्या सोच रहे हैं! मैं तो खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूँ। इसके लिए केस थोड़े ही चला दोगे। 

(देश मंथन, 15 मार्च 2015)

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