आतिशी (Atishi) दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। वहीं आतिशी के विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद इस बात की चर्चाएँ होने लगी हैं कि आखिर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने उन पर ही भरोसा क्यों जताया?
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के इस्तीफे की घोषणा के बाद मंगलवार, 17 सितंबर को आतिशी (Atishi) को दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इस तरह आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने वाली तीसरी महिला होंगी। वहीं, केजरीवाल ने उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना से मुलाकात की और उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके साथ ही आतिशी भी उपराज्यपाल से मिलने पहुँची थीं और उन्होंने दिल्ली में सरकार बनाने का दावा पेश किया।
मंगलवार सुबह तक इस बात के कयास लग रहे थे कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। लेकिन, विधायक दल की बैठक में केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा, जो सर्वसम्मति से पारित हो गया। इसके बाद कई तरह की चर्चाएँ तेज हैं कि आखिर केजरीवाल ने आतिशी पर ही भरोसा क्यों जताया? आतिशी को मुख्यमंत्री बना कर वे क्या साबित करना चाहते हैं?
आतिशी हर वक्त रहीं आगे
देखा जाये तो मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद जिस तरह आतिशी हर वक्त सामने नजर आ रही थीं, उसके बाद उनकी दावेदारी सबसे मजबूत थी। वे हर मौके पर भाजपा (BJP) पर हमलावर रहीं। चाहें 15 अगस्त को झंडा फहराने को लेकर विवाद हो या फिर, केजरीवाल और सिसोदिया की जमानत का मामला हो, आतिशी भाजपा को घेरने से पीछे नहीं हटीं। ऐसे में वे केजरीवाल का भरोसा जीतने में कामयाब रही हैं।
भाजपा-कांग्रेस (BJP-Congress) के हमलावर रुख पर नजरें
वहीं मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) या किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री बनाने पर भाजपा-कांग्रेस ज्यादा हमलावर होते। शायद यह एक भी वजह रही कि केजरीवाल ने आतिशी के नाम पर प्रस्ताव लाने का फैसला किया। हालाँकि, ऐसा नहीं है कि आतिशी पर भाजपा निशाना नहीं साध रही है। आतिशी के माता-पिता ने आतंकी अफजल गुरु के समर्थन में दया याचिका पर हस्ताक्षर किये थे। यह मामला आज पूरे दिन छाया रहा और भाजपा इसी को आधार बना कर अरविंद केजरीवाल पर जम कर निशाना साध रही थी। लेकिन, भाजपा यह नैरेटिव गढ़ने की कोशिश पहले भी कर चुकी है और उसे केजरीवाल के सामने कोई खास सफलता नहीं मिली है।
डमी मुख्यमंत्री से केजरीवाल को खतरा नहीं!
आतिशी के नाम पर मुहर लगने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय ने कहा कि परिस्थितियाँ ऐसी थीं कि ऐसा फैसला लेना पड़ा। केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जो भी मुख्यमंत्री बना, वह भरत की तरह भगवान राम का खड़ाऊँ रख कर काम करेगा। भारद्वाज का कहना था कि जनता ने केजरीवाल को मुख्यमंत्री चुना था और मुख्यमंत्री वही रहेंगे। पार्टी प्रवक्ता जैस्मीन शाह ने भी आतिशी को एक तरह से डमी मुख्यमंत्री कह दिया। ऐसे में केजरीवाल के नजरिये से देखा जाये तो आतिशी के मुख्यमंत्री रहते उनकी हर बात उनकी ही शैली में अमल में लायी जायेगी, इसमें संदेश की गुंजाइश कम ही नजर आती है।
फिलहाल, अरविंद केजरीवाल ने एक महिला नेत्री को अपनी कुर्सी पर बिठा दिया है और इससे काफी हद तक वे भाजपा-कांग्रेस के हमलों को कम करने की कोशिश करेंगे। अब देखना यह है कि विपक्ष केजरीवाल की इस रणनीति की काट क्या निकालता है।
(देश मंथन, 17 सितंबर 2024)