जुल्फों में संविधान

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आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार  :

उत्तराखंड के प्रकरण पर गंभीर संवैधानिक बहस चल रही थी एक टीवी चैनल पर।

एक संविधान विशेषज्ञ इस पर कुछ बोलना चाह रहे थे कि एंकर ने डपटा-बहुत बहुत-बहुत जरूरी छोटा सा ब्रेक लेना पड़ेगा। इश्तिहार ब्रेक शुरू हुआ-जूही चावला आ गयीं और बताने लगीं कि उनके काले केश, घनी जुल्फों के पीछे कौन सा हेयर आयल है। आशय यह था कि जो काले-घने केश चाहते हैं, वो जूही चावला द्वारा निर्दिष्ट हेयर-आयल का इस्तेमाल करें।

संविधान जैसे स्थगित हो चुका था और जुल्फ विमर्श शुरू हो गया। जूही चावला के बाद फिर विराट कोहली आये, उन्होने एक मोटरसाइकिल का महात्म्य बताया कि किस तरह से वह मोटरसाइकिल अति ही कुशल मोटरसाइकिल है। राजकाज में संविधान की भूमिका की कुशलता की चर्चा स्थगित रही। फिर अनुष्का शर्मा ने अपने शानदार बालों का राज बताया।

तमाम राजनीतिक मसलों को निपटाने में संविधान की रेपुटेशन पर विमर्श फिर स्थगित रहा।

इधर मैं टीवी देख कर बहुत परेशान हो जाता हूँ। संविधान जैसे गहन-गंभीर विषय पर बात चल रही है कि माहौल कतई ब्यूटी पार्लरनुमा हो जाता है। ब्यूटी पार्लर एक बहुत गंभीर कारोबार है, पर संविधान विमर्श में तो उसे नहीं घुसा सकते ना। 

गंभीर राजनीतिक विमर्श के कार्यक्रम कोई टूथपेस्ट स्पांसर करता हुआ दिखता है। टूथपेस्ट निश्चय ही गंभीर कारोबार है, पर संविधान को सफेद दांतों की हीहीही, ठीठीठीठी से विहीन होने दें, तो बेहतर।

आफतें विकट हैं, संवैधानिक विमर्श में रमना शुरू ही हो कि जूही के काले केश लहराने लगते हैं। चिढ़ कर एक दिन मैंने एक टीवी न्यूजवाले मित्र से कहा-तुम जूहीजी के काले केशों पर एक व्यापक चर्चा कर लो, काले केशों के हर आयाम पर। पर बाद में संविधान में काले केश ना डालो।

मित्र हँसने लगा-काले केश तो रोज आयेंगे।

आइये, रोज आइये, काले केश हम क्या कर सकते हैं। संविधान को टीवी पर अब काले केशों में लपेट कर ही पढ़ा जा सकता है। कोई क्या कर सकता है।

इश्तिहार हैं, तो रेवेन्यू है, रेवेन्यू है, तो टीवी है।

संविधान विमर्श ना होगा, कल को कोई और विमर्श होगा, तब भी जूही चावला के काले केश लहरायेंगे।

बाकी तमाम विषय अस्थायी हैं, आने-जाने है, काले केश रहेंगे, स्थायी भाव से। काले केश जायेंगे तो कुछ और आ जायेगा कोई ब्यूटी सोप या ब्यूटी क्रीम या दंत मंजन या मोटरसाइकिल।

काले केशों से मुक्ति नहीं है। अभी एक गंभीर रिपोर्ट टीवी पर देख रहा था-गठबंधन की राजनीति पर। एंकर बता रहा था कि जाने कहाँ-कहाँ से कौन-कौन से दल आपस में मिल जाते हैं। सत्ता की राजनीति करते हैं। उस सन में उस दल ने यह किया, इस सन में इस दल ने ऐसे किया। गठबंधन विमर्श रुका और सन्नी लियोनी आ गयीं। वह यह बताने लगीं कि कहाँ-कहाँ प्रेम कार्य संपन्न कर सकते हैं, काऊच पर, टेबल पर, और ना जाने कहाँ-कहाँ और उस प्रेम कार्य को संपन्न करने में उस ब्रांड का प्रयोग करें। उफ्फ गठबंधन से कहाँ पर आ गये।

मेरा निवेदन है कि सन्नी लियोन या जूही चावला रात ग्यारह बजे क्राइम प्रोग्राम्स के इश्तिहारों में आया करें। क्राइम प्रोग्राम बहुत ही पापुलर और गंभीर कार्यक्रम हैं। वहाँ आने से सन्नी की गरिमा में इजाफा होगा। अभी एक क्राइम कार्यक्रम पर रिपोर्ट देख रहा था-अवैध संबंधों के त्रिकोण पर। वहाँ सन्नी का इश्तिहार होना चाहिए-गठबंधन होना चाहिए, पर अवैध नहीं। गठबंधन संपन्न करने के लिए उस ब्रांड का प्रयोग करें। किसी क्राइम कार्यक्रम में जूही चावला बतायें कि काले केश कत्ल का कारण भी बन सकते हैं, देखने वाले इन्हे देख कर पागल हो सकते हैं। पगलाने वाले केशों के लिए फलाँ केश तेल। टीवी न्यूजवालों को मिलकर कुछ ऐसी गाइडलाइन्स बनानी चाहिए कि संविधान विमर्श को हम काले केशों से मुक्त रखेंगे।

लहराते काले केश मुझे देख कर हँस रहे हैं और कह रहे हैं-अबे हमसे कौन मुक्त हो पाया है आज तक।

(देश मंथन, 12 मई 2016)

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