उमर अब्दुल्ला कह रहे हैं – लोगों को बाद में समझ में आता है कि गलती कर दी। किसको ऐसा समझ में आ रहा है? किसने आपको बताया कि हाँ, हमने गलती कर दी? कांग्रेस के आलाकमान ने? नाम लेकर बताइए ना कि किसको संसद पर आतंकवादी हमले के सूत्रधार को फाँसी दिलवाना अब अपनी गलती लग रहा है?
अफजल गुरु पर उमर अब्दुल्ला के एक बयान पर हंगामा मचा है। पहले इसकी पृष्ठभूमि जान लें। 2001 में संसद पर आतंकवादी हमला हुआ था। इसका मुख्य आरोपी था मोहम्मद अफज़ल गुरु। अफजल गुरु को 9 फ़रवरी 2013 को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फाँसी दी गयी।
फाँसी की सजा सर्वोच्च न्यायालय ने सुनायी थी। फाँसी देने के समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी, जिसके अध्यादेश को राहुल गांधी रद्दी कागज की तरह फाड़ने में सक्षम थे।
इतना सब याद आ गया ना…?
अफजल गुरु को फाँसी किसकी “गलती” थी?
अब आज की बात। उमर अब्दुल्ला कह रहे हैं कि अफजल गुरु को फाँसी देना एक गलती थी। तो वे स्पष्ट बतायें कि यह गलती किसकी थी?
क्या देश के सर्वोच्च न्यायालय ने यह गलती की, क्योंकि फाँसी की सजा तो सर्वोच्च न्यायालय ने ही सुनायी?
क्या तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने गलती की? आखिर सर्वोच्च न्यायालय खुद किसी को पकड़ कर फाँसी नहीं देता है। जाँच एजेंसियाँ जाँच करके अपराधी को पकड़ती हैं और सरकार के वकील अदालत के सामने उसके अपराध को साबित करते हैं और उसके बाद ही कोई न्यायालय किसी अपराधी को सजा देता है। तो क्या मनमोहन सिंह की सरकार ने “निर्दोष” अफजल गुरु को अदालतों में अपराधी साबित करा दिया?
उमर अब्दुल्ला कह रहे हैं कि अगर उनके हाथ में होता तो वे अफजल गुरु को फाँसी नहीं होने देते। पर इसके लिए वे बात को मृत्युदंड के औचित्य की बहस की ओर मोड़ देते हैं। उमर अब्दुल्ला जिन संपादक से बातचीत में यह सब बोल रहे थे, वे बहुत प्रसिद्ध हैं, बेहिचक सवाल पूछा करती हैं, बारीकियों को कुरेदने में सक्षम हैं।
शायद उस एक पल की बात रही हो कि बाद उनके ध्यान में नहीं आयी हो, लेकिन दरअसल मृत्युदंड के औचित्य पर विश्वास न करने के बारे में सवाल पूछ कर उन्होंने स्वयं ही उमर अब्दुल्ला को एक सेफ पैसेज दे दिया। उन्हें पूछना चाहिए था कि क्या उमर अब्दुल्ला मानते हैं कि अफजल गुरु निर्दोष था, उसे बिना गलती के सजा दे दी गयी? उसे फाँसी देना गलत था, या कोई भी सजा देना गलत था? वह आतंकवादी था, या नहीं था?
उमर अब्दुल्ला कह रहे हैं – लोगों को बाद में समझ में आता है कि गलती कर दी। किसको ऐसा समझ में आ रहा है? किसने आपको बताया कि हाँ, हमने गलती कर दी? कांग्रेस के आलाकमान ने? नाम लेकर बताइए ना कि किसको संसद पर आतंकवादी हमले के सूत्रधार को फाँसी दिलवाना अब अपनी गलती लग रहा है?
उमर अब्दुल्ला कह रहे हैं – अफजल गुरु को फांसी देने से कोई मकसद पूरा नहीं हुआ।
तो क्या किसी को फाँसी की सजा कोई मकसद पूरा करने के लिए सुनायी जाती है, या उसने जो अपराध किया होता है उसकी गंभीरता देख कर सर्वोच्च न्यायालय कानून के हिसाब से यह निर्णय करता है?
उमर अब्दुल्ला कह रहे हैं – केंद्र सरकार ने अफजल गुरू को फांसी देने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की अनुमति या सहमति नहीं ली थी।
जनाब, किस फाँसी की सजा को क्रियान्वित करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की अनुमति लेनी होती है?
क्या इंडी गठबंधन सहमत है उमर अब्दुल्ला की राय से?
और हाँ, उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस राहुल गांधी की कांग्रेस के नेतृत्व वाले आई.एन.डी.आई.ए. (I.N.D.I.A) का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर के विधान सभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन है। तो क्या उमर अब्दुल्ला की यह राय पूरे इंडी गठबंधन की राय है?
कहते हैं देश में सब तरफ गोदी मीडिया है, जो मोदी सरकार का भक्त बना हुआ है। लेकिन इस गोदी मीडिया ने अब तक किसी कांग्रेसी प्रवक्ता से, और इंडी गठबंधन के दूसरे दल से पूछा कि उमर अब्दुल्ला के इस कथन पर उनकी राय क्या है? क्या वे उनसे सहमत हैं? मीडिया में अगर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से यह सवाल पूछने की हिम्मत नहीं है, तो फिर वह मीडिया किसकी गोदी में है?
गोदी मीडिया पूछे या न पूछे, क्या कांग्रेस के लिए स्वयं यह उचित नहीं है कि वह इस बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करे? क्या एक आतंकवादी का समर्थन करना एक ऐसा मुद्दा नहीं है, जिस मुद्दे पर उसे अपना सहयोगी दल चुनने या छोड़ने के विकल्प पर विचार करना चाहिए?
कांग्रेस के नेता या तो कहें कि उमर अब्दुल्ला गलत बोल रहे हैं और एक आतंकवादी का समर्थन करने वाले के साथ हम चुनाव नहीं लड़ेंगे। या फिर स्पष्ट करें कि उमर अब्दुल्ला की राय से वे सहमत हैं, मान रहे हैं कि “उन्होंने ही” 2013 में अफजल गुरु को फाँसी देने की गलती कर दी थी। चुप्पी से काम चलेगा क्या?
(देश मंथन, 9 सितंबर 2024)