Wednesday, January 15, 2025
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यह छोटा-सा कदम उठेगा हुजूर?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :  

शर्म कहीं मिलती है? दिल्ली में कहीं मिलती है? अपने देश में कहीं मिलती है? यहाँ तो कहीं नहीं मिलती! किसी को उसकी जरूरत ही नहीं है! यह देश की राजधानी का आलम है। जहाँ बड़ी-बड़ी सरकारें हैं। वहाँ अस्पतालों की ऐसी बेशर्मी, ऐसी बेहयाई है कि शर्म कहीं होती तो शर्म से चुल्लू भर पानी में डूब मरती! लेकिन दिल्ली में कुछ नहीं हुआ। न अस्पतालों को, न सरकारों को! सब वैसे ही चल रहा है, जैसे कुछ हुआ ही न हो!

झूठ बोल के हा हा हा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

दिल्ली में जल्दी ही नर्सरी स्कूल दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। 

दशरथ माँझी ने की थी गया से दिल्ली तक पदयात्रा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

पहाड़ का सीना चीर कर सड़क बनाने वाले दशरथ माँझी के जीवन पर अत्यंत खूबसूरत फिल्म बनी है माँझी द माउंटेन मैन। माँझी ने अपने जीवन काल में एक बार रेलवे ट्रैक से होते हुए पैदल ही गेहलौर से दिल्ली की 1400 किलोमीटर की दूरी तय की थी।

आम आदमी की पहली उड़ान

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

आसमान में उड़ना भला किसे अच्छा नहीं लगता। हर कोई सोचता है कि काश उसके पास भी पंछियों की तरह परवाज होते और उड़ पाता। पर देश की आबादी के 2% लोग भी जीवन में उड़ पाते हैं। शायद नहीं। आप उड़कर दिल्ली से हैदराबाद दो घंटे में पहुँच सकते हैं पर ट्रेन से 20 घंटे में। पर उड़ना हमेशा महँगा सौदा रहा है। पर हम उस आदमी को कैसे भूल सकते हैं जिसने मध्य वर्ग के लोगों को उड़ने का सपना दिखाया। 

गिरफ्तारी और सजा

असग़र वजाहत:

यह कोई 1982-83 की बात है। मैं दिल्ली की एक लोकल बस मेँ चढ़ा। बस के कंडक्टर ने कहा, जाकर बैठ जाओ टिकट देता हूँ।’ लेकिन कंडक्टर टिकट देना भूल गया ओर मैं लेना भूल गया। इतनी देर मेँ बस के ऊपर छापा पड़ा और मुझे टिकट न होने की वजह से गिरफ्तार करके पास खड़ी मोबाइल कोर्ट में बंद कर दिया गया।

‘बेब’ कहीं का

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

'बेब' - ये नाम सुअर के एक बच्चे का है। 

शांति

प्रेमचंद :   

स्वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आती है, तो वह रंगरेलियाँ आँखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकांत में जाकर जरा देर रो लेता हूँ।

गुरु गोबिंद सिंह की याद दिलाता है गुरुद्वारा दमदमा साहिब

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

वैसे तो दिल्ली प्रसिद्ध गुरुद्वारों में गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, गुरुद्वारा बंगला साहिब, गुरुद्वारा रकाबगंज के बारे में सभी लोग जानते हैं। पर दिल्ली में और भी कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं। इनमें से एक है गुरुद्वारा दमदमा साहिब।

गुरुद्वारा दमदमा साहिब दक्षिण दिल्ली में हुमांयू के मकबरे के पीछे स्थित है।

वेधशाला है दिल्ली का जन्तर-मन्तर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

दिल्ली के संसद मार्ग पर है जन्तर-मन्तर। आजकल जन्तर-मन्तर का नाम आते ही धरना-प्रदर्शन का दृश्य जेहन में घूमने लगता है।

हुमायूँ का मकबरा : इससे मिली थी ताजमहल बनाने की प्रेरणा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

दिल्ली का हुमायूँ का मकबरा ताज महल के जैसा खूबसूरत है। कुछ सामन्यताएँ ताजमहल और हुमायूँ के मकबरे में।

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