Friday, October 18, 2024
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नानी दमन और मोटी दमन

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

गुजरात के वापी शहर के पास दमन केंद्र शासित प्रदेश है। कभी गोवा दमन और दीव मिलकर एक प्रदेश हुआ करते थे, पर गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद दमन और दीव अब केंद्र शासित प्रदेश हैं। हालाँकि दमन और दीव के बीच 700 किलोमीटर की दूरी है, पर दोनों का प्रशासन एक ही है।

दो राज्यों का प्रवेश द्वार है वापी शहर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

गुजरात का एक शहर वापी। वैसे तो जिला मुख्यालय भी नहीं है, पर इसका अपना महत्व है। यह हमारे देश के दो राज्यों का प्रवेश द्वार है। वापी रेलवे स्टेशन से एक तरफ निकलें तो दादरा नगर हवेली की ओर जा सकता हैं, वहीं दूसरी ओर निकलें तो दमन जा सकते हैं।

वक्त के साथ बदलता सिलवासा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद सिलवासा की ओर जाती हुई सड़क का सौंदर्य मनमोह लेता है। दोनों तरफ हरियाली और आगे बढ़ते रास्ते। टाउन हाल से लगा हुआ चौराहा सिलवासा शहर की धड़कन है। इसी चौराहे के आसपास राजधानी सिलवासा के तमाम दफ्तर हैं।

पर्यावरण बचाने का संदेश देती है बिलिमोरा वघई लाइन

विद्युत प्रकाश मौर्य :

अंबिका नदी के तट पर बसे नवसारी जिले के शहर बिलिमोरा से दिन भर में दो ही नैरोगेज रेलगाड़ियाँ वघई के लिए खुलती हैं, जो आपको गुजरात के एकमात्र हिल स्टेशन सापूतारा की ओर ले जाती हैं।

बंदरगाह को जोड़ती थी बिलीमोरा-वघई नैरोगेज लाइन

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

गुजरात में एक और नैरोगेज रेल संचालन में है बिलीमोरा जंक्शन और वघई के बीच। ये लाइन इस मायने में ऐतिहासिक है कि ये बड़ौदा रियासत के एकमात्र बंदरगाह बिलीमोरा को शेष गुजरात से जोड़ती थी। दोनों स्टेशनों के बीच एक जोड़ी ट्रेनों का रोज संचालन होता है।

एक और सुस्त ट्रेन – कौसंबा-उमरपाडा नैरोगेज

विद्युत प्रकाश मौर्य :

गुजरात के सूरत जिले में एक और सुस्त नैरोगेज ट्रेन सौ साले से अधिक समय से चल रही है। ये गुजरात में तीसरा नैरोगेज नेटवर्क जो संचालन में है वह है कोसंबा उमरपाडा के बीच। कोसांबा सूरत जिले का एक छोटा व्यापारिक शहर है। वहीं उमरपाडा सूरत जिले का ही एक तालुका है।

साइकिल भी ट्रेन से चलती है तेज

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

गुजरात में दभोई-मियागाम के अलावा गुजरात में प्रतापनगर (वड़ोदरा) और जांबुसार जंक्शन और कोसांबा उमरपाडा, बिलिमोरा वाघाई के बीच अभी भी नैरोगेज रेल नेटवर्क संचालित हो रहा है। प्रतापनगर से जंबुसार नैरोगेज रेलवे लाइन की कुल लंबाई 51 किलोमीटर है।

बैल खींचते थे रेलगाड़ी

विद्युत प्रकाश मौर्य :

नैरोगेज की बात करें तो इसका मतलब 2 फीट 6 ईंच ( 762 एमएम) पटरियों के बीच की चौड़ाई वाली रेलवे लाइन। हालाँकि कुछ नैरोगेज लाइनों की चौड़ाई दो फीट भी है। भारत में पहली नैरोगेज लाइन गुजरात में 1862 में दभोई से मियागाम के बीच बिछाई गई। ये 762 एमएम की नैरोगेज लाइन गायकवाड बड़ौदा स्टेट रेलवे ने बिछाई।

देश के केंद्र में है बैतूल शहर

विद्युत प्रकाश मौर्य :

सतपुड़ा की वादियों में बैतूल मध्य प्रदेश का एक जिला है। पर इस जिले की खास बात है कि ये देश के बिल्कुल केंद्र में बसा है।

खत्म हुआ शकुंतला एक्सप्रेस का सफर

विद्युत प्रकाश मौर्य :

जुलाई 2014 में देश के मानचित्र से एक नैरो गेज ट्रेन विदा हो गई। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में यवतमाल से मुर्तुजापुर ( अकोला जिला) के बीच 112 किलोमीटर का नैरो गेज रेल नेटवर्क हुआ करता था।

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