Saturday, March 15, 2025
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गुस्सा आये तो दस तक गिनती गिनो

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

पिताजी कभी - कभी कमरे में टहलने लगते और जोर - जोर से गुनगुनाते “श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव!”

जब पिताजी ये वाला मंत्र जाप करते तो हम समझ जाते कि हमसे कोई गलती हुयी है और पिताजी को बुरा लगा है, लेकिन वो हम पर गुस्सा करने की जगह कमरे में टहलना शुरू कर देते और अपने भगवान को याद करने लगते - “श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव!”

बड़ा होने पर मैंने पिताजी से पूछा कि मैं बचपन से आपको ऐसा करते देख रहा हूँ।

रिश्तों को समझो, नहीं तो जीवन शाप लगेगा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मैं कोई ज्योतिष नहीं हूँ, लेकिन मैं भविष्यवाणी कर सकता हूँ। 

यह मेरी भविष्यवाणी है कि अगले कुछ वर्षों में आदमी इच्छा मृत्यु के शाप से ग्रस्त हो जायेगा।

रिश्ते हैं, लेकिन कोई रिश्ता बचा नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

कई साल पहले एक रात हमारे घर की घंटी बजी। 

तब हम पटना में रहते थे। आधी रात को कौन आया?

पिताजी बाहर निकले। सामने दो लोग खड़े थे। एक पुरुष और एक महिला।

मौके का दाँव लगा तो टैलेंट दिखा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

पहली बार जब मैं ट्रेन में सफर कर रहा था तब पिताजी के साथ सबसे ऊपर वाली बर्थ पर बैठा था। 

हंसों से सीखें रिश्ते निभाना

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आपने कभी हंसों को उड़ते हुए देखा है? 

पौराणिक कहानियाँ जीवन की पाठशाला हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आदमी चाहे तो किसी एक कण से भी जिंदगी में बहुत कुछ सीख सकता है। 

मैंने बचपन में सुनी और पढ़ी तमाम कहानियों में से हाथी और मछली की कहानी को जीवन के सार-तत्व की तरह लिया। हालाँकि वहाँ तक पहुँचने के लिए मुझे राजा यदु और अवधूत की मुलाकात की कहानी भी माँ ने ही सुनायी थी।

मृत्यु अटल है, जीवन सकल है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आज आपको एक न में ले चलता हूँ। 

अपने जीवन में मुझे एक बार ओशो से मिलने का मौका मिला।

‘सोच’ बनी ‘समस्या’

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

मेरे आज के लिखे को पढ़ कर प्लीज नाक भौं मत सिकोड़ियेगा। इन दिनों इस विषय को सरकार जोर-शोर से उठा रही है। ये आदमी की नैसर्गिक जरूरत है।

धैर्य, लगन और ईमानदार मेहनत से मिलता है पुरस्कार

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आज मुझे एक गुदगुदाने वाले रिश्ते के बारे में लिखना था, लेकिन सुबह जैसे ही नींद खुली याद आया कि आज कंगना रनाउत से मिलना है।

हौसले और अभ्यास से मिलती है उड़ान

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

पिताजी के साथ बड़ौदा में आखिरी फिल्म मैंने ‘रंगीला’ देखी थी। 

पता नहीं क्यों पिताजी को फिल्म बहुत पसंद आयी थी। जब हम फिल्म देख कर लौट रहे थे, तो पिताजी ने कहा कि इस फिल्म में उर्मिला मातोंडकर ने बहुत अच्छी एक्टिंग की है।

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