Tag: अकेलापन
रिश्ते जरूर बनाये, अकेलापन से बड़ी कोई सजा नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मन में हजार कहानियाँ उमड़ती घुमड़ती रहीं।
कल मुंबई में कुछ फोन चोरों को लोगों ने पकड़ कर चलती ट्रेन में नंगा करके बेल्ट से पीटा, मोबाइल से उनकी तस्वीरें उतारीं, तस्वीरें मीडिया तक पहुँचाई गयीं और इस तरह हमने देखा और दिखाया कि हम किस ओर बढ़ चले हैं।
खैर, सुबह-सुबह बुरी खबरें मुझे विचलित करती हैं।
गरम हवाओं ने पूरब की शीतलता में उष्णता भर दी

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
“गरम हवाओं ने पूरब की शीतलता में कब और कैसे उष्णता भर दी, हम देखते रह गये…”
मैंने कल यहाँ फेसबुक पर अपनी पोस्ट में लिखा था कि कैसे मैं रेडियो मिर्ची के एक शो में गया, तो रेडियो जॉकी शशि ने मुझे बताया कि एक बुजुर्ग दंपति, जिनके तीनों बच्चे अमेरिका में सेटल हो गये हैं, पटना में अकेले जिन्दगी गुजार रहे हैं।
अकेलापन है सजा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
हमारे दफ्तर के एक साथी की पत्नी अपने दोनों बच्चों समेत पिछले हफ्ते भर से मायके गयी हैं।
जिस दिन मेरे साथी की पत्नी मायके जा रही थीं, वो बहुत खुश थे। उन्होंने दफ्तर में बाकायदा एनाउन्स किया कि अब वो दो हफ्ते छड़ा रहेंगे।
आगे बढ़ते हम, पीछे छूटते अपने

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे पड़ोस वाली रेखा दीदी की शादी मेरी जानकारी में सबसे पहले चाँद के पास वाले ग्रह के एक प्राणी से हुई थी।
जुबाँ से दिये जख्म जिन्दगी भर नहीं भरते

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी एक परिचित किसी को कुछ भी कह सकती हैं। वो स्पष्टवादी हैं। उन्हें किसी को कुछ भी कह देने में कोई गुरेज नहीं है।
वो कोई भी बात कहने के बाद कहती हैं, “माफ कीजिएगा, मैं साफ बोलती हूँ।