Thursday, November 21, 2024
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जातीय जनगणना क्यों कराना चाहते हैं राहुल गांधी? क्या है इसके पीछे कांग्रेस की रणनीति

हाल में राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए दावा किया था, "हिंदुस्तान का ऑर्डर आ चुका है, जल्दी ही 90 फीसदी भारतीय जातीय जनगणना की माँग करेंगे।" उन्होंने पीएम मोदी को खुली चुनौती देते हुए कह डाला कि जातीय जनगणना को कोई शक्ति नहीं रोक सकती है। अब सवाल यह है कि आखिर राहुल गांधी जातीय जनगणना कराने को लेकर इतने आक्रामक क्यों हैं?

इन चार परिवारवादी दलों का भविष्य है अंधकार में

इन सभी पार्टियों के वर्तमान नेतृत्व को ऐसा लगता था कि हमारे साथ विरासत (लीगेसी) है, हमारा कोई क्या बिगाड सकता है। मगर पहले जनता, फिर कार्यकर्ताओं ने साथ छोड़ दिया। राजीव गांधी के समय से यह ग्राफ घटता जा रहा है। ऐसी सभी पार्टियों में अलग-अलग स्तरों पर असंतोष है। पार्टी और सत्ता का शीर्ष पद परिवार के लिए आरक्षित हो, तो बगावत तय होती है।

तो उत्तर प्रदेश चुनाव में समाजवादी पार्टी लाई कब्रिस्तान?

अभिरंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार :

जब मैंने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि ‘चुनाव के उत्सव में कब्रिस्तान और श्मशान कहाँ से ले आए मोदी जी?’, इसके बाद मेरे पास तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं। जो प्रतिक्रियाएं मेरे सवाल के साथ सहमति में आईं, उन्हें सामने रखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनकी बात तो मैं कह ही चुका हूँ, लेकिन जो प्रतिक्रियाएं असहमति में आईं हैं, उन्हें स्पेस देना भी जरूरी लग रहा है।

“प्रियंका, मुलायम क्यों नहीं कर रहे पूरे उत्तर प्रदेश में प्रचार?”

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में चौथे चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले जहाँ प्रियंका वाड्रा और मुलायम सिंह यादव के कम प्रचार करने पर तंज कसा है, वहीं लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।

उत्तर प्रदेश चुनाव : हार-जीत के बाद क्या?

हरिशंकर राय, सह-प्राध्यापक : 

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के परिणाम से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली है।  

सपा के लठबाजी प्रहसन के फलितार्थ

राजीव रंजन झा : 

उनके 'नेताजी' (हमारे नेताजी तो एक ही हैं, आजादी से पहले वाले) भी पार्टी में हैं। चच्चा भी पार्टी में हैं। चच्चा चुनाव भी लड़ेंगे। सबकी सूचियों का भी मिलान हो रहा है, सबका मान रखा जा रहा है। पार्टी भी एक है। चुनाव चिह्न भी सलामत है। बस बीच में डब्लूडब्लूई स्टाइल में जबरदस्त जूतमपैजार की नौटंकी से जनता का दिल खूब बहलाया गया। इस नौटंकी के नतीजे - 

हम समाजवाद की ओर बढ़ रहे हैं – मुलायम सिंह

डॉ. मुकेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार व लेखक :

सुबह से ही नेताजी के आवास पर भारी भीड़ देख कर मैं थोड़ा चकित हुआ। कारण मेरी समझ में नहीं आया। उनका जन्मदिन निकल चुका है। शाही सवारी और पचहत्तर फुट के केक के किस्से भी अब लोग भूलने लगे हैं। मैंने सोचा हो सकता है कि उनका कोई और सगा-संबंधी विधायक-सांसद बन गया होगा, इसलिए जलसे जैसा माहौल है।

सामाजिक न्याय की ताकतों की लीलाभूमि पर आखिरी जंग

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में पुराने जनता दल के साथियों का साथ आना बताता है कि भारतीय राजनीति किस तरह ‘मोदी इफेक्ट’ से मुकाबिल है।

अबकी बार, क्या क्षेत्रीय दल होंगे साफ?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

राजनीति से इतिहास बनता है! लेकिन जरूरी नहीं कि इतिहास से राजनीति बने! हालाँकि इतिहास अक्सर अपने आपको राजनीति में दोहराता है या दोहराये जाने की संभावनाएँ प्रस्तुत करता रहता है!

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