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यह कैसा ‘बचकाना न्याय’ है?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
लोग अब खुश हैं। अपराध और अपराधियों के खिलाफ देश की सामूहिक चेतना जीत गयी। किशोर न्याय (Juvenile Justice) पर एक अटका हुआ बिल पास हो चुका है। अब कोई किशोर अपराधी उम्र के बहाने कानून के फंदे से नहीं बच पायेगा। किसी अटके हुए बिल ने आज तक देश की 'सामूहिक चेतना' को ऐसा नहीं झकझोरा, जैसा इस बिल ने किया। जाने कितने बिल संसद में बरसों बरस लटके रहे, लटके हुए हैं। लोकपाल तो पचास साल तक कई लोकसभाओं में कई रूपों में आता-जाता, अटकता-लटकता रहा। देश की सामूहिक चेतना नहीं जगी। महिला आरक्षण बिल भी बरसों से अटका हुआ है। उस पर भी देश की 'सामूहिक चेतना' अब तक नहीं जग सकी है! और शायद कभी जगे भी नहीं!
अलविदा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मन था मुंबई ब्लास्ट पर लिखूँ। मन था कि याकूब को मिली फाँसी पर लिखूँ। कल देर रात दफ्तर में बैठा रहा, रात भर याकूब मेमन को बचाने की कोशिशों की खबरों का अपडेट करता रहा। सोचता रहा कि क्या लिखूँ।