Tag: अभिरंजन कुमार
वाह रे मुख्तार तेरी माया, भैया ने ठुकराया, बहन जी ने अपनाया!
अभिरंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार :
यह मेरे मुस्लिम भाइयों-बहनों का सौभाग्य है या दुर्भाग्य, कि देश से लेकर प्रदेश तक के चुनावों में ध्रुवीकरण की राजनीति की मुख्य धुरी वही बने रहते हैं? उनका समर्थन और वोट हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों को कौन-कौन से पापड़ नहीं बेलने पड़ते!
समाजवादी गठबंधन को धूल चटाने को बीजेपी-बीएसपी बना सकती है हिडेन एलायंस!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
समाजवादी+कांग्रेस गठबंधन से यह तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में इस बार मतदाताओं के पास जाति और धर्म से अलग जा कर मतदान करने का विकल्प सीमित या समाप्त हो गया है। विकास का नारा सिर्फ नारा रहेगा, लेकिन मतदान करने के लिये जाति और धर्म ही सबसे बड़ा इशारा रहेगा।
आतंकवाद की आड़ लेकर नोटबंदी का विरोध
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
जिस देश ने 70 साल धैर्य रखा, उसी देश में कुछ लोग 17 दिन में ही अधीर हुए जा रहे हैं। नोटबंदी के आलोचक तरह-तरह की दलीलों के साथ सरकार पर हमले कर रहे हैं। एक दलील यह भी है कि इससे आतंकवाद पर लगाम नहीं लगेगी, बल्कि उल्टे आतंकवाद और बढ़ेगा।
शहीद नहीं, बलि के बकरे थे रोहित वेमुला और रामकिशन ग्रेवाल!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
रोहित वेमुला और अब रामकिशन ग्रेवाल - इन दोनों ने कथित रूप से खुदकुशी की। एक आतंकवादी याकूब मेमन का समर्थक था, लेकिन तथाकथित खुदकुशी के बाद उसे दलित चेतना का प्रतीक घोषित कर दिया गया। दूसरा एक पूर्व फौजी था, जिसने कांग्रेस के 10 साल के शासन में orop लागू नहीं होने पर खुदकुशी नहीं की, लेकिन जब यह काफी हद तक लागू हो गया है, तब खुदकुशी कर ली।
शहाबुद्दीनवादी सरकार क्या समझेगी शहादत का मोल…
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
बिहार के अमर शहीद अशोक सिंह की पत्नी और हमारी बहन संगीता ने शहीदों को दिए जाने वाले मुआवजों को लेकर जो सवाल उठाए हैं, उसने हमारी कई सरकारों और राजनीतिक दलों की बेशर्मी और फूहड़पने की पोल खोल कर रख दी है।
बाबा रामदेव लाएं पतंजलि हर्बल स्याही, ताकि नेताजी को खुजली न हो!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
इस देश में अगर राष्ट्रविरोधी कार्यक्रम आयोजित करने वालों अथवा उन्हें समर्थन देने वालों को भी पुलिस गिरफ्तार कर ले, तो बड़ी संख्या में लोग सरकार और पुलिस का विरोध करने लगते हैं। अगर किसी बड़ी आतंकवादी घटना के बाद जाँच एजेंसियों को किसी पर शक हो जाए और वह उसे गिरफ्तार कर ले, तो भी अक्सर लोग बवाल काटना शुरू कर देते हैं। लेकिन फिनलैंड-प्रेमी किसी नेताजी पर अगर कोई स्याही मात्र भी फेंक दे, तो उसे फौरन गिरफ्तार कर लिया जाता है और कोई इसकी आलोचना तक नहीं करता।
माफ कीजिए, इंसानियत का खून बहाने के लिए कैसे दूँ शुभकामनाएं?
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
मेरे एक प्रिय मुस्लिम भाई ने शिकायत की कि देश-दुनिया के मुद्दों पर तो आप ख़ूब लिखते हैं, लेकिन हमें बकरीद की शुभकामनाएं तक नहीं दीं। क्या आप मुसलमानों को अपना भाई-बहन नहीं मानते? मुझे लगा कि यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब मुझे सार्वजनिक रूप से देना चाहिए, क्योंकि इससे मुझे समाज, सियासत और धर्म में व्याप्त बुराइयों पर चोट करने में मदद मिलेगी।
चीफ जस्टिस साहब, चंद्र बाबू की आँखें ढूँढ़ रही हैं आपको!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
बताइए तो एक शरीफ आदमी को इतने-इतने साल जेल में रखना कहाँ तक मुनासिब है? जिन लोगों ने भी शहाबुद्दीन साहब की जमानत और रिहाई का रास्ता प्रशस्त किया, वे तमाम लोग संयुक्त रूप से अगले भारत रत्न के हकदार हैं। इनमें मैं जमानत देने वाले उन जज साहब की भी पैरवी कर रहा हूँ, न्याय का माथा ऊँचा करने में जिनके उल्लेखनीय योगदान की कोई चर्चा ही नहीं कर रहा।
सलमान खुर्शीद क्या पाकिस्तान के एजेंट हैं?
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
सलमान खुर्शीद ने पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान जाकर भारत विरोधी बयान दिया था। कहा था कि “भारत ने पाकिस्तान के अमन के पैगाम का उचित जवाब नहीं दिया। मोदी अभी नये हैं और स्टैट्समैन कैसे बना जाता है, यह उन्हें सीखना है।“ यानी मोदी से अदावत की आड़ में सलमान खुर्शीद ने अपने वतन भारत को ही अमन का दुश्मन और गुनहगार बना डाला।
गुलाम नबी को तो हीलिंग टच चाहिए, पर बाकी देश को क्या चाहिए?
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
कश्मीर में गुलाम नबी आजाद हीलिंग टच की बात कर रहे थे। 70 साल से वहाँ हीलिंग टच ही हो रहा था। अगर किसी की फीलिंग में ही प्रॉब्लम हो, तो कब तक हीलिंग करें?