Tag: अमिताभ बच्चन
जीने का संकल्प
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
“जब विकल्प की सीमाएँ समाप्त हो जाती हैं, तब मानव संकल्प का उदय होता है।”
सलाम सचिन
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
शायद पच्चीस साल पुरानी बात है, हमारे अखबार के संपादक प्रभाष जोशी क्रिकेट का मैच देखने न्यूजीलैंड गये हुए थे। वहाँ से मैच का आँखों देखा हाल वो रोज जनसत्ता में छाप रहे थे। तब मैं जनसत्ता में उप संपादक के पद पर काम करने लगा था।
जैसी सोच वैसा जीवन
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आपने दो बैलों की कथा पढ़ी होगी। आपने दो शहरों की कहानी भी पढ़ी होगी।
आज मैं आपको दो चिट्ठियों की कहानी सुनाता हूँ। मैंने आपसे कहा था न कि पिछले दिनों घर से फालतू कागजों की सफाई में मेरी यादों का लंबा पुलिंदा खुल गया। उन्हीं यादों में से मैं आज आपके लिए ख़ास तौर पर लेकर आया हूँ, दो चिट्ठियों की कहानी।
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प्यार सबसे बड़ी प्रेरणा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
एक बार मैंने अमिताभ बच्चन से पूछा था कि वो कौन सी चीज है जो आपको लगातार सिनेमा के संसार से जुड़े रहने को प्रेरित करती है? हर आदमी एक ही काम करते-करते एक दिन उस काम से ऊब जाता है। मैंने तमाम बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों को देखा है, जो एक दिन खुद को रिटायर होते देखना चाहते हैं।
अकबर को क्या जरूरत पूजा करने की!
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कुछ दिन पहले मैं अमिताभ बच्चन से मिलने उनके दिल्ली वाले घर में गया था। पहले भी कई बार जा चुका हूँ, लेकिन इस बार जब मैं उनसे मिलने गया तो मुझे उनके साथ कहीं जाना था। मैं ड्राइंग रूम में बैठ कर चाय पी रहा था, अमिताभ बच्चन तैयार हो रहे थे।
किसे पसंद नहीं था अमिताभ का नाम
संजय सिन्हा :
इस बार फिल्म 'शमिताभ' के लिए जब अमिताभ बच्चन से मेरा मिलना हुआ था, तब मेरे मन में एक सवाल था, जो मैं उनसे पूछना चाहता था। दरअसल ये सवाल बहुत दिनों से मेरे मन में था, जिसे मैं पूछना चाहता था।