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गिरफ्तारी और सजा

असग़र वजाहत:
यह कोई 1982-83 की बात है। मैं दिल्ली की एक लोकल बस मेँ चढ़ा। बस के कंडक्टर ने कहा, जाकर बैठ जाओ टिकट देता हूँ।’ लेकिन कंडक्टर टिकट देना भूल गया ओर मैं लेना भूल गया। इतनी देर मेँ बस के ऊपर छापा पड़ा और मुझे टिकट न होने की वजह से गिरफ्तार करके पास खड़ी मोबाइल कोर्ट में बंद कर दिया गया।
क्या प्रयास कर रहा है अल्पसंख्यक समुदाय?

जाने-माने हिंदी लेखक और जामिला मिलिया इस्लामिया के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष असग़र वजाहत ने अपनी एक ताजा टिप्पणी से भारत में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच रिश्तों पर नया सवाल उठाया है। इन सवालों पर उनके विचार क्या हैं और इन्हें उठाने की जरूरत क्यों पड़ी है, इसे समझने के लिए राजीव रंजन झा ने उनसे बातचीत की।
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