Tuesday, September 17, 2024
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विशाखापत्तनम – ज्वेल ऑफ द इस्ट कोस्ट

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

आंध्र प्रदेश के शहर विशाखापत्तनम को ज्वेल ऑफ द इस्ट कोस्ट कहा जाता है। तेलंगाना के अलग होने के बाद यह आंध्र का सबसे बड़ा शहर है। इसकी आबादी 2011 में 17 लाख से ज्यादा थी, जबकि तीसरे बड़े शहर विजयवाड़ा की आबादी 10 लाख से ज्यादा थी।

विजयवाड़ा शहर – पराठे और भरपेट थाली

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

आंध्र प्रदेश के शहरों में आमतौर पर भोजन की बात करें तो उसका मतलब भरपेट खाने की थाली होता है। यह थाली आमतौर पर चावल की होती है। विजयवाड़ा शहर में मार्च 2016 में भरपेट थाली मध्यम दर्जे के रेस्टोरेंट में मिल जाती है 70 रुपये की। यानी 70 रुपये में चाहे जितना मर्जी खाओ।

आर्य वैश्यों का तीर्थ पेनुगोंडा का वासवी धाम

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी जिले के पेनुगोंडा स्थित वासवी धाम दक्षिण भारत में आर्य वासव समुदाय के लोगों का बड़ा तीर्थ स्थल है। पेनुगोंडा को वासवी माता की जन्म स्थली माना जाता है। यहाँ पर विशाल वासवी कन्या परमेश्वरी मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर परिसर में वासवी देवी की विशाल सुनहले रंग की मूर्ति है।

विजयवाड़ा का कनक दुर्गा मंदिर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

कनक दुर्गा का भव्य मंदिर विजयवाड़ा शहर के बीचों बीच पहाड़ी पर है। तिरूपति के बाद यह आंध्र प्रदेश के भव्य मंदिरों में से एक है। यहाँ पर सालों भर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

अति व्यस्त रेलवे स्टेशन पर कायम है स्वच्छता – विजयवाड़ा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

वैसे तो विजयवाड़ा आंध्र प्रदेश का सबसे भीड़भाड़ वाला रेलवे स्टेशन है। स्टेशन पर कुल 10 प्लेटफार्म हैं। रोज सैकड़ों गाड़ियाँ गुजरती हैं। पर स्टेशन पर साफ सफाई का जो आलम है उसमें रेलवे को धन्यवाद देने का जी चाहता है। हमारी मिलेनियम एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर 7 पर पहुँची। समय से पहले। हमारे पास दो घंटे का समय था। कुल 29 घंटे ट्रेन में था।

यदाद्रि के बाला जी – श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद 2014 में तेलंगाना नया राज्य बना। पर देश का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध तिरूपति बाला जी का मंदिर अब आंध्र प्रदेश में रह गया। तब तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद से 62 किलोमीटर दूरी पर स्थित यदाद्रि के विष्णु मंदिर को भव्य रूप प्रदान करने का संकल्प लिया है। मंदिर का नाम श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी वारी देवस्थानम है। मंदिर का पुराना नाम यादगिरी गट्टा था पर अब इसे छोटे नाम यदाद्रि के नाम से जाना जाता है। यहाँ विष्णु का मंदिर पहाड़ियों पर स्थित है। खास तौर पर रात में मंदिर क्षेत्र की खूबसूरती देखते ही बनती है। 

श्रीशैलम बांध – आंध्र और तेलंगाना को करता है आबाद

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

श्रीशैलम के बाद हमारी वापसी हो रही थी। महादेव के दर्शन के बाद एक खास तरह का संतोष था मन में, कई साल पुरानी इच्छा पूरी जो हो गयी थी। जाते वक्त चालक महोदय ने का था कि वापसी में डैम दिखाउँगा। सो अपने वादे के मुताबिक। वह रुक गये। पातालगंगा के पास हमलोग श्रीशैलम बांध देखने के लिए रुके। यहाँ पर एक व्यू प्वांइट है जहाँ से आप जलाशय का नजारा कर सकते हैं। फोटो खिंचवा सकते हैं। सभी आने जाने वाली गाड़ियाँ यहाँ रुकती हैं। हालाँकि आप बिना अनुमति के जलाशय के पास तक नहीं जा सकते।

नल्लामल्ला पर्वत पर विराजते हैं मल्लिकार्जुन स्वामी (02)

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

देवों के देव महादेव। उनके मंदिर बने हैं देश के हर हिस्से में। अगर 12 ज्योतिर्लिंगों की बात करें तो इनमें से दक्षिण भारत में हैं। पहला रामेश्वरम और दूसरा श्रीशैलम में। शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में दूसरे स्थान पर आते है श्रीशैलम के मल्लिकार्जन स्वामी। इसे दक्षिण में दिव्य क्षेत्रम माना जाता है। यहाँ पहुँच कर अद्भुत शांति और आनंद की अनुभूति होती है।

श्रीमल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर – श्रीशैलम की ओर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

महादेव शिव का दूसरा ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के करनूल जिले में है। श्री मल्लिकार्जुन स्वामी का मंदिर श्रीशैलम में स्थित है। पर यहाँ पहुँचने का रास्ता भी अत्यंत मनोरम है। आप चाहे किसी भी रास्ते से जाएँ श्रीशैलम पहुँचने के लिए आपको 100 किलोमीटर घने जंगलों से होकर गुजरना होगा। इस मार्ग पर रात में चलना निषेधित है। इसलिए ये सफर दिन में ही करना पड़ता है।

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