Tag: आत्महत्या
प्रत्यूशा की मौत के बहाने
संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन :
मैंने किसानों की आत्महत्या पर नहीं लिखा, डेल्टा मेघवाल की मौत पर भी नहीं लिखा लेकिन प्रत्यूशा बनर्जी की मौत पर लिख रहा हूँ। कारण इसी में है फिर भी ना समझ में आये तो उसपर फिर कभी बात कर लेंगे। फिलहाल प्रत्यूशा और उसके जैसी अभिनेत्रियों की मौत के कारणों को समझने की कोशिश करते हैं। जो छोटे शहरों से निकल कर बड़ा काम करती है। शोहरत और पैसा कमाती हैं, सब ठीक-ठाक चल रहा होता है और अचानक पता चलता है कि उसकी मौत हो गई (आत्महत्या कर ली, हत्या हो गई या शीना बोरा की तरह) या गायब हो गयी।
क्या अब कायर और पलायनवादी भी योद्धा कहे जाएँगे!
अभिरंजन कुमार :
रोहित के साथ अगर कुछ गलत हुआ, तो उसकी पड़ताल करो। गुनहगारों को सजा दो। लेकिन प्लीज उसे हीरो मत बनाओ। क्या हम अपने बच्चों और नौजवानों को यह बताना चाहते हैं कि कोई आत्महत्या करके भी हीरो बन सकता है?
विकास की बाँसुरी, फ़ासिस्ज़्म के तम्बू!
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
रोहित वेमुला ने आत्महत्या क्यों की? वह कायर था? अवसाद में था? जिन्दगी से हार गया था? उसके मित्रों ने उसकी मदद की होती, तो उसे आत्महत्या से बचाया जा सकता था? क्या उसकी आत्महत्या के ये कारण थे? नहीं, बिलकुल नहीं।
रिश्तों की पूंजी
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज मैं जो सुनाने जा रहा हूँ, वो कहानी नहीं। हकीकत है। हमारा और आपका भविष्य है, अगर हम समय रहते नहीं चेते तो।
खेती करके वह पाप कर रहे हैं क्या?
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
किसान मर रहे हैं। खबरें छप रही हैं। आज यहाँ से, कल वहाँ से, परसों कहीं और से। खबरें लगातार आ रही हैं। आती जा रही हैं। किसान आत्महत्याएँ कर रहे हैं। इसमें क्या नयी बात है? किसान तो बीस साल से आत्महत्याएँ कर रहे हैं।