Monday, September 15, 2025
टैग्स आम आदमी पार्टी

Tag: आम आदमी पार्टी

दिल पे ना लें

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

आम आदमी पार्टी में कई मित्र हैं, बहुत से मित्र परेशान हैं, कुछ का कहना है कि अब केजरीवाल का पतन शुरू हो जायेगा।

आप : गतांक से आगे का आख्यान

सुशांत झा, स्वतंत्र पत्रकार :

यह एक व्यंग्य है, कृपया तथ्य ढूंढेंगे तो आपकी हालत योगेंद्र यादव सी हो सकती है!

केजरी और यादव-भूषण झगड़े का जोड़ हमारे महान इतिहास-पुराण में जरूर कहीं न कहीं होगा।

फिर धीरे-धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा…

मोहनीश कुमार, इंडिया टीवी :

मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,

यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है ।

दुष्यत कुमार के शब्दों के साथ गाँधी जी की एक कहानी याद आ रही है... बीएचयू के दिनों में... गंगा के किसी घाट पर... कभी साथी विप्लव राही ने सुनाई थी...

केजरीवाल अगर ऐसे सरकार चलायें, तो….?

क़मर वहीद नक़वी : 

आम आदमी गजब चीज है! किसी को भनक तक नहीं लगने देता कि वह क्या करने जा रहा है। वरना किसे अंदाज था कि सिर्फ नौ महीनों में ही दिल्ली घर घर मोदी से घर घर मफलर में बदल जायेगी!

दिल्ली चुनाव और दिल की बात

अभिरंजन कुमार :

दिल्ली में कोई जीते, कोई हारे, मुझे व्यक्तिगत न उसकी कोई ख़ुशी होगी, न कोई ग़म होगा, क्योंकि मुझे मैदान में मौजूद सभी पार्टियां एक ही जैसी लग रही हैं। अगर मैं दिल्ली में वोटर होता, तो लोकसभा चुनाव की तरह, इस विधानसभा चुनाव में भी "नोटा" ही दबाता।

मोदी मंत्रिमंडल और संघ के लिए भारी केजरीवाल!

राजेश रपरिया :

दिल्ली विधानसभा के चुनावी सर्वेक्षणों में खारिज अरविंद केजरीवाल ‘विजेता’ बन कर उभरे हैं। इन सर्वेक्षणों में केजरीवाल के पक्ष में मतदाताओं का रुझान बढ़ रहा है।

‘आप’ के रेडियो जिंगल पर दिल्ली पुलिस की रोक क्यों?

प्रियभांशु रंजन, पत्रकार :

खबर आयी है कि दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी के एक रेडियो विज्ञापन पर पाबंदी लगा दी है। दिल्ली पुलिस की दलील है कि 'आप' के विज्ञापन से उसकी "छवि को नुकसान पहुँचा" है।

क्या हो पायेगा ‘आप’ का पुनर्जन्म?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

तो क्या ‘आप’ का पुनर्जन्म हो सकता है? दिल्ली में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यही है, ‘आप’ का क्या होगा? केजरीवाल या मोदी? दिल्ली किसका वरण करेगी?

अबकी बार, क्या क्षेत्रीय दल होंगे साफ?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

राजनीति से इतिहास बनता है! लेकिन जरूरी नहीं कि इतिहास से राजनीति बने! हालाँकि इतिहास अक्सर अपने आपको राजनीति में दोहराता है या दोहराये जाने की संभावनाएँ प्रस्तुत करता रहता है!

क्या-क्या सिखा सकती है एक झाड़ू?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

तो झाड़ू अब ‘लेटेस्ट’ फैशन है! बड़े-बड़े लोग एक अदना-सी झाड़ू के लिए ललक-लपक रहे हैं! फोटो छप रही है! धड़ाधड़! यहाँ-वहाँ हर जगह झाड़ू चलती दिखती रही है!

- Advertisment -

Most Read

तलवों में हो रहे दर्द से हैं परेशान? इस धातु से मालिश करने से मिलेगा आराम

अगर शरीर में कमजोरी हो या फिर ज्यादा शारीरिक मेहनत की हो, तो पैरों में तेज दर्द सामान्य बात है। ऐसे में तलवों में...

नारियल तेल में मिला कर लगायें दो चीजें, थम जायेगा बालों का गिरना

बालों के झड़ने की समस्या से अधिकांश लोग परेशान रहते हैं। कई लोगों के बाल कम उम्र में ही गिरने शुरू हो जाते हैं,...

कहीं आप तो गलत तरीके से नहीं खाते हैं भींगे बादाम?

बादाम का सेवन सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। लगभग हर घर में बादाम का सेवन करने वाले मिल जायेंगे। यह मांसपेशियाँ (Muscles)...

इन गलतियों की वजह से बढ़ सकता है यूरिक एसिड (Uric Acid), रखें इन बातों का ध्यान

आजकल किसी भी आयु वर्ग के लोगों का यूरिक एसिड बढ़ सकता है। इसकी वजह से जोड़ों में दर्द होने लगता है। साथ ही...