Tag: आलोक पुराणिक
सिर्फ बिरयानी और फिल्में

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
पाकिस्तान से खबरें आ रही हैं, जिनके मुताबिक पाकिस्तान सरकार का कहना है कि पठानकोट में आतंकीकांड भारत सरकार ने खुद ही कराया है। पाकिस्तानी बयान के कुछ अंश इस प्रकार हैं-
नो नेक्स्ट प्रत्यूषा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
उफ्फ जैसे खिलता हुआ फूल खुद को ही तोड़ ले और अलग कर ले जिंदगी से।
शवयात्रा में क्रिकेट

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
मैं ऊपर वाले प्रार्थना करता हूँ, कि जीते जी वह चाहे जैसा सलूक करे मेरे साथ। पर मेरी मौत उस दिन ना शेड्यूल करे, जिस दिन भारत और पाकिस्तान का वन डे क्रिकेट मैच हो।
ऊपरवाले की कस्टमर केयर

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
शनि के मंदिर, हाजी अली दरगाह पर बखेड़े खड़े हो रहे हैं, पर ऊपर से कोई रिस्पांस नहीं आ रहा है।
कस्टमर केयर के इस जमाने में जहाँ से कस्टमर केयर बिलकुल ही नहीं मिलती है, वह है ऊपरवाले का इलाका।
सीक्रेट डायरी

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार
सलमान खान
वाऊ, पीएम मोदी तो सिर्फ सिटीज को स्मार्ट डिक्लेयर कर रहे हैं, पर बिना डिक्लेयर किये इंडिया की जेलें कितनी स्मार्ट हो गयी हैं। संजय दत्त ने जेल में अपनी बाडी सिक्स-पैक-एब्सवाली बना ली। कर्नाटक की एक जेल में अभी रिपब्लिक डे पर एक डांसर का नाच हुआ। कसम से, ऐसी ही जेलें और स्मार्ट होती रहीं, तो अगली बार अपने सारे मामलों में मैं खुद ही जेल जाने की डिमांड कर लूँगा।
कचौड़ी का लोकार्पण

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
दिल्ली का पुस्तक मेला निपट गया कल रविवार 17 जनवरी को। हिंदी के स्टालों पर यह शुबहा रहा कि लोकार्पण-कर्ता ज्यादा हैं हिंदी में या पाठक ज्यादा।
किताबों का लोकार्पण पहले होता था, अब लोकार्पण मचता है, खास तौर पर पुस्तक मेले में।
जोधा-अकबर पेरेंट्स – टीचर मीटिंग में

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
अभी लौटा हूँ एक पीटीएम यानी पेरेंट्स टीचर मीटिंग से।
जरा कल्पना कीजिये, शाहजादा सलीम की पीटीएम यानी पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग चल रही है। क्राफ्ट मैडम शिकायत कर रही है- जरा भी इंटरेस्ट नहीं दिखाता। क्राफ्ट क्लास में नहीं आता। कला का जरा सा भी एलीमेंट नहीं इसमें।
उफ्फ टोपी, हाय टोपी

पुराणिक, व्यंग्यकार :
अभी कांग्रेस का स्थापना दिवस मनाया गया, कई नेता गाँधी टोपी में थे, बहुत अश्लील लग रहे थे। पर उनसे ज्यादा वह टोपी अश्लील लग रही थी।
अंत में सेल और पहले भी

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
साल का अंत आ पहुँचा है और अखबारों, टीवी-चैनलों पर इयर-एंड सेल के इश्तिहार शुरू हो गये हैं। जी अगले हफ्ते आप न्यू ईयर सेल के इश्तिहार भी देख रहे होंगे। साल की शुरुआत सेल से होती है और अंत भी।
मूँगफली खाते रोबोट

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
वक्त तेजी से बदल रहा है, इंसान का संवाद मशीनों से ज्यादा और रूबरू-इंसानों से कम हो रहा है।