Tag: आलोक पुराणिक
रिचार्ज का भन्डारा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
मैंने एक पुण्यार्थी उद्योगपति से निवेदन किया कि मुफ्त का पानी पिलाना इस गरमी में बहुत पुण्य का काम है।
ऊधमी छोकरा, षोडशी सुंदरी और गैंडा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
लंबे समय से व्यंग्य लिखते हुए एक अनुभव आया कि फेसबुक, ट्विटर पर छपे व्यंग्य पर हासिल प्रतिक्रियाएँ त्वरित और कई बार असंतुलित होती हैं।
सत्संग के दुष्परिणाम

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
सु-कंपनी नामक सज्जन ने गुरु-घंटाल अकादमी की मासिक समस्या-सुलझाओ गोष्ठी में अपनी समस्या यूँ रखी-मेरा नाम सु-कंपनी है, मैंने हमेशा सज्जनता आचरण किया है। शास्त्रोक्त सूत्रों के मुताबिक मैंने हमेशा उन्हे ही मित्र बनाया, जिनकी सज्जनता को लेकर मुझे कभी कोई शक ना रहा।
शाही गधे, शाही कचौड़ी

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
कसम से दिल बैठ जाता है, ऐसा बोर्ड देखकर - फलाँ शाही कचौड़ी की दुकान।
शाह ना बचे, सिर्फ कचौड़ियाँ बची रह गयी। एक दम फिलोसोफिकल किस्म की उदासी घेरने लगती है। शाहों से ज्यादा स्थायी तो कचौड़ियाँ निकलीं। एक ही सड़क पर चौदह दुकानें शाही कचौड़ियों की।
एक मार्ग-टटोलक के नोट्स

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
यहाँ मुझे, सुभाष चंदरजी और हरीश नवलजी को मार्गदर्शक - मंडल बना दिया है। चलो सुभाष चंदरजी और हरीश नवलजी तो पर्याप्त बुजुर्ग हो चुके हैं कि इन्हे मार्गदर्शक - मंडल बना दिया जाये।
किस्सा-ए-कोलस्ट्रोल

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
देखोजी कैसी-कैसी फ्राडबाजी है दुनिया में। कैसा भला सा नाम है कोलस्ट्रोल, जैसे लुईस कैरोल, जैसे पामेला एंडरसन, जैसे शिंडी क्राफर्ड, पर कोलस्ट्रोल की हरकतें देख लो।
दिल पे ना लें

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
आम आदमी पार्टी में कई मित्र हैं, बहुत से मित्र परेशान हैं, कुछ का कहना है कि अब केजरीवाल का पतन शुरू हो जायेगा।
सेकंड सेक्स, प्लीज देखो सेंसेक्स

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
वैधानिक चेतावनी-यह व्यंग्य नहीं है
POWER AND FREEDOM FLOWS FROM THE LAYERS OF PURSE-प्रोफेसर सैमुअल बायरन का यह स्टेटमेंट बहुत यथार्थवादी है। ताकत और स्वतंत्रता पर्स से बहती हैं।
रेल बजट: 2015 – आइडिया पे आइडिया

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
वैधानिक चेतावनी-यह व्यंग्य नहीं है
केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं, पर रेल बजट 2015-16 पेश करने में उन्होने जो किसी कवि की कल्पनाशीलता दिखायी है। चार्टर्ड एकाउंटेंट का काम ठोस आंकड़ों की पुख्ता जमीन पर होता है। कवि को यह छूट होती है कि वह अपनी कल्पना के घोड़े कहीं भी दौड़ा ले।
टच में रहिये

आलोक पुराणिक :
मुझसे कोई पूछे कि ब्रह्मांड का सबसे मुश्किल काम क्या है-मैं कहूँगा -टच में रहना।