Sunday, September 14, 2025
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व्यापमं बाहर नहीं, अन्दर है!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :  

सब तरफ व्यापमं ही व्यापमं है! वह व्यापक है, यहाँ, वहाँ, जहाँ नजर डालो, वहाँ व्याप्त है! साहब, बीबी और सलाम, ले व्यापमं के नाम, दे व्यापमं के नाम! व्यापमं देश में भ्रष्टाचार का नया मुहावरा है, जिसमें कोई एक, दो, दस-बीस, सौ-पचास का भ्रष्टाचारी गिरोह नहीं, हजारों हजार भ्रष्टाचारी हैं।

सीबीआई की पहली चुनौती है अक्षय का मामला

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:

पत्रकार अक्षय सिंह की मौत कैसे हुई? क्या वह व्यापम घोटाले के किसी नये सच तक पहुँचने के करीब थे? क्या नम्रता दामोर की संदिग्ध मौत की पड़ताल करते-करते अक्षय इस घोटाले के किसी और सिरे तक पहुँचने वाले थे?

मदरसों को अब बदलना चाहिए

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :  

मदरसे एक बार फिर विवादों में हैं! इस बार बवाल इस सवाल पर है कि मदरसे स्कूल हैं या नहीं? महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि वह उन मदरसों को स्कूल नहीं मानेगी, जहाँ अँगरेजी, गणित, विज्ञान और समाज शास्त्र जैसे विषय नहीं पढ़ाये जाते। इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार 'स्कूल न जानेवाले' बच्चों में गिनेगी।

तोते वही बोलें, जो संघ बुलवाये!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:

लोकतन्त्र सुरक्षित है! आडवाणी जी की बातों में बिलकुल न आइए! उन्हें वहम है! इमर्जेन्सी जैसी चीज अब नहीं आ सकती! क्योंकि नरेन्द्र भाई ने देश को ट्वीट कर बताया है कि जीवन्त और उदार लोकतन्त्र को मजबूत बनाना कितना जरूरी है! इसीलिए 'उदार लोकतंत्र' में आडवाणी जैसों की कोई जगह नहीं, जिन्हें लगता हो कि लोकतन्त्र को कुचलने वाली ताकतें आज पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर हैं!

ललितगेट : कैसी लकीर खीचेंगे नमो?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:

सुना है लमो के बखेड़े से नमो बहुत परेशान हैं! सुनते हैं, अपने कुछ मंत्रियों से उन्होंने कहा कि लोग जो देखते हैं, उसी पर तो यकीन करते हैं! और यहाँ तो लोगों ने सिर्फ देखा ही नहीं, बल्कि लमो यानी ललित मोदी को सुना भी। यकीन न करते तो क्या करते? सच तो सामने है, बिना किसी खंडन-मंडन के! 

जिधर देखो, सब क्लीन ही क्लीन है!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार: 

न से नेता! जिसे कुछ नहीं होता! इसलिए राममूर्ति वर्मा को भी कुछ नहीं होगा! वह जानते हैं कि नेताओं का अकसर कुछ नहीं बिगड़ता। बाल भी बाँका नहीं होता!

जागिए, मैगी ने झिंझोड़ कर जगाया है!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :

मैगी रे मैगी, तेरी गत ऐसी! क्या कहें? सौ साल से नेस्ले कम्पनी देश में कारोबार कर रही थी! दुनिया की जानी-मानी कम्पनी है।

इस गरमी पर एक छोटा-सा सवाल!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:

लोग गरमी से मर रहे हैं। अब तक अठारह सौ से ज्यादा लोग मर चुके हैं। खबरें छप रही हैं। लोग मर रहे हैं। सरकारें मुआवजे बाँट रही हैं।

ऐप्प मोदी 2.2 को क्या अपडेट चाहिए?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार 

मोदी 2.1 पर तो खूब बहस हो चुकी। बहस अभी और भी होगी। सरकार का पहला साल कैसा बीता, मोदी सरकार अपनी कहेगी, विरोधी अपनी कहेंगे, समीक्षक-विश्लेषक अपनी कहेंगे, बाल की खाल निकलेगी। लेकिन क्या उससे काम की कोई बात निकलेगी? मोदी सरकार के पहले साल पर यानी मोदी 2.1 पर हमें जो कहना था, हम पहले ही कह चुके। अब आगे बढ़ते हैं।

सौ दिन, एक साल, दो सरकारें!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार 

दिल्ली दिलचस्प संयोग देख रही है। एक सरकार के सौ दिन, दूसरी के एक साल! दिलचस्प यह कि दोनों ही सरकारें अलग-अलग राजनीतिक सुनामियाँ लेकर आयीं। बदलाव की सुनामी! जनता ने दो बिलकुल अनोखे प्रयोग किये, दो बिलकुल अलग-अलग दाँव खेले।

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