Sunday, June 8, 2025
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माँ

प्रेमचंद :   

आज बन्दी छूटकर घर आ रहा है। करुणा ने एक दिन पहले ही घर लीप-पोत रखा था। इन तीन वर्षों में उसने कठिन तपस्या करके जो दस-पाँच रूपये जमा कर रखे थे, वह सब पति के सत्कार और स्वागत की तैयारियों में खर्च कर दिये।

रिश्तों का गुलदस्ता

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

मैं कल्पना के संसार में जीता हूँ। मैं कल्पना के संसार में ही जीना चाहता हूँ। मैं हर रोज एक काल्पनिक कहानी लिखता हूँ।

रेल बजट: 2015 – आइडिया पे आइडिया

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

वैधानिक चेतावनी-यह व्यंग्य नहीं है

केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं, पर रेल बजट 2015-16 पेश करने में उन्होने जो किसी कवि की कल्पनाशीलता दिखायी है। चार्टर्ड एकाउंटेंट का काम ठोस आंकड़ों की पुख्ता जमीन पर होता है। कवि को यह छूट होती है कि वह अपनी कल्पना के घोड़े कहीं भी दौड़ा ले।

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