Sunday, June 8, 2025
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क्यों बढ़ती है मुस्लिम आबादी?

क़मर वहीद नक़वी : 

मुसलमानों की आबादी बाकी देश के मुकाबले तेजी से क्यों बढ़ रही है? क्या मुसलमान जानबूझ कर तेजी से अपनी आबादी बढ़ाने में जुटे हैं? क्या मुसलमान चार-चार शादियाँ कर अनगिनत बच्चे पैदा कर रहे हैं? क्या मुसलमान परिवार नियोजन को इसलाम-विरोधी मानते हैं? क्या हैं मिथ और क्या है सच्चाई? 

दिल्ली के दिल में क्या है?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

दिल्ली जीते, फिर यहाँ जीते, फिर वहाँ जीते, इधर जीते, उधर जीते, पूरब जीते, पश्चिम जीते, उत्तर जीते, लेकिन अबकी बार दिल्ली का उत्तर क्या होगा?

क्या होगा, जब आयेगी इंटरनेट की सुनामी?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार:

इंटरनेटजीवियों के बारे में यह खबर बिल्कुल भी अच्छी नहीं है! इंटरनेट कंपनियाँ जरूर इससे खुश हो लें, लेकिन मुझे तो इसने थोड़ा डरा दिया है। वैसे, यह बात तो सभी जानते हैं कि इंटरनेट के बिना अब न दुनिया चल सकती है और न लोगों की जिंदगी!

बिल्ली के भाग्य से छींका नहीं टूटेगा?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

नमो अब अमेरिका यात्रा पर हैं. अब वहाँ नमो-नमो हो रहा है! नमो वाक़ई बड़े कुशल खिलाड़ी हैं. ख़बरें बनाना जानते हैं. ख़बरों में रहना जानते हैं. मौक़ा कोई हो, बात कोई हो, यह ‘नमो-ट्रिक’ देश पहली बार देख रहा है कि राग नमो-नमो कैसे हमेशा चलता रहे!

न हादसे के पहले, न हादसे के बाद!

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

टीवी की भाषा में इस लेख की टीआरपी शायद बहुत कम हो! क्योंकि असली मुद्दों में कोई रस नहीं होता! उन पर लोग लड़ते नहीं, न उन पर उन्हें लड़ाया जा सकता है! 

यही सब होगा तो साख कहाँ से आयेगी?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

बच्चे थे, तब से सुन रहे हैं! शायद तब से अब तक हजारों बार सुन-पढ़ चुके हैं! न्याय न सिर्फ होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए! तो बाकी बातें छोड़ दीजिए, बस जी कर रहा है कि यही एक सवाल माननीय पी. सदाशिवम जी से पूछूँ।

क्यों जी, आप सेकुलर हो?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

क्यों जी, आप सेकुलर हो? तो बन्द करो यह पाखंड! पक गये सेकुलरिज़्म सुन-सुन कर! अब और बेवक़ूफ नहीं बनेंगे! पुणे पर इतना बोले, सहारनपुर पर चुप्पी क्यों? दुर्गाशक्ति नागपाल जो अवैध दीवार ढहाने गयी थी, अब वहाँ मसजिद बन गयी है, सेकुलरवादियो जाओ वहाँ नमाज पढ़ आओ!

देखिए कि क्या दिखता है?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

दिल्ली से बगदाद कितनी दूर है? ठीक-ठीक 3159 किलोमीटर। बीच में ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान। किसने सोचा था कि आग वहाँ लगेगी तो आँच तीन देशों को पार करते हुए अपने यहाँ तक आ जायेगी। वैसे तो इराक़ पिछले दस-बारह सालों से युद्ध से झुलस रहा है, लेकिन पहले कभी आज जैसी तपिश महसूस नहीं की गयी।

बड़ी-बड़ी उम्मीदें हैं मोदी की बड़ी चुनौती

क़मर वहीद नक़वी, संपादकीय निदेशक, इंडिया टीवी :

सरकार किस दल की नहीं, बल्कि कैसी बनती है, इस पर निर्भर करेगा कि वह क्या काम कर पाती है।

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