Friday, November 22, 2024
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भाजपा की मजबूती से डर कर एकजुट हुए लालू नीतीश : शाहनवाज

राजीव रंजन झा :

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन की ओर से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किये जाने के बाद भाजपा की ओर से अब तक स्थिति साफ नहीं है कि वह बिहार के चुनाव में नेतृत्व का चेहरा घोषित करेगी या नहीं। 

बिहार चुनाव के उलझे समीकरण

संदीप त्रिपाठी :

बिहार विधानसभा चुनाव की आहट सुनायी देने लगी है। चुनाव आयोग भी यह संकेत दे रहा है कि सितंबर-अक्टूबर में चुनाव होंगे।

आपको मिर्ची लगी तो कोई क्या करे

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

कांग्रेस को वाकई 'बेचारा' ही कहा जाएगा.. जो अनाथ हो उसके लिए भारत में ऐसा ही संबोधन किया किया जाता है।

भूमि अधिग्रहण बिल पर तथ्यहीन विरोध

राजीव रंजन झा :

राहुल गाँधी को भारतीय राजनीति में पुनर्स्थापित करने के प्रयास के तहत कांग्रेस ने बीते रविवार को दिल्ली में किसानों की रैली की और उसमें राहुल खूब गरजे-बरसे।

ऊधमी छोकरा, षोडशी सुंदरी और गैंडा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

लंबे समय से व्यंग्य लिखते हुए एक अनुभव आया कि फेसबुक, ट्विटर पर छपे व्यंग्य पर हासिल प्रतिक्रियाएँ त्वरित और कई बार असंतुलित होती हैं।

बिहार बीजेपी वाया गिरिराज सिंह@ फेयर-इन-लवली

सुशांत झा, पत्रकार :

गिरिराज ने जो टीवी फुटेज खाया है उसमें उनकी पार्टी और उनका दोनों का हित सधता है। पहचान(!) का संकट बिहार में उन्हें पहले भी नहीं था, अब तो वो पहचान घनीभूत हो गयी है।

दिल्ली चुनाव और दिल की बात

अभिरंजन कुमार :

दिल्ली में कोई जीते, कोई हारे, मुझे व्यक्तिगत न उसकी कोई ख़ुशी होगी, न कोई ग़म होगा, क्योंकि मुझे मैदान में मौजूद सभी पार्टियां एक ही जैसी लग रही हैं। अगर मैं दिल्ली में वोटर होता, तो लोकसभा चुनाव की तरह, इस विधानसभा चुनाव में भी "नोटा" ही दबाता।

पंजाबी दुर्ग में सेंध की आप को चुनौती

संदीप त्रिपाठी : 

दिल्ली विधानसभा चुनाव में पंजाबी खत्री मतदाता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने जा रहे हैं। आमतौर पर यह मतदाता भाजपा के समर्थक वर्ग के रूप में माना जाता रहा है। भाजपा ने अपने शुरुआती दिनों से इसी वोटबैंक के बूते दिल्ली में अपना आधार मजबूत किया। लेकिन दिसंबर, 2013 में आप की लहर का असर इस वोट बैंक पर भी पड़ा।

दिल्ली में दलित वोटर होंगे निर्णायक

संदीप त्रिपाठी : दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार दलित वोट निर्णायक भूमिका में होंगे। पूरी दिल्ली में एक वर्ग के रूप में सबसे ज्यादा संख्या दलितों की ही है। दिल्ली के कुल 1,30,85,251 मतदाताओं में 17 फीसदी दलित हैं। कुल 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 12 तो सुरक्षित हैं ही, आठ अन्य क्षेत्रों में भी दलित प्रभावी संख्या में हैं।

वही राग- वही रंग, फिर कैसे बदलेगा नीति आयोग?

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आज तक :

प्रधानमंत्री मोदी का नीति आयोग और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के योजना आयोग में अंतर क्या है। मोदी के नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानागढ़िया और मनमोहन के योजना आयोग के मोंटक सिंह अहलूवालिया में अंतर क्या है। दोनों विश्व बैंक की नीतियों तले बने अर्थशास्त्री हैं।

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